किसी को पेंशन, किसी को पक्की नौकरी की टेंशन

By: Mar 30th, 2017 12:01 am

पेंशन बढ़ाने की घोषणा पर जल्द अमल करे सरकार

कुल्लू —  सरकार पेंशनर्ज की सभी लंबित मांगों को जल्द पूरा करे। इसके साथ ही सीएम ने पेंशन वृद्धि की जो घोषणा की थी, उसके बारे में अधिसूचना जल्द जारी की जाए। यह मांग हिमाचल पेंशनर्ज कल्याण संघ ने उठाई। बुधवार को पेंशनर्ज कल्याण संघ का राज्य स्तरीय स्थापना दिवस कुल्लू के देव सदन में प्रदेशाध्यक्ष केएस जसवाल की अध्यक्षता में मनाया गया। समारोह में सभी जिलों के प्रधानों, सचिव, वित्त सचिव तथा हजारों की संख्या में पेंशनरों ने हिस्सा लिया। समारोह से पूर्व सभी पेंशनरों ने कला केंद्र से लेकर देव सदन  तक शक्ति प्रदर्शन किया। समारोह में सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किए गए। इस दौरान चर्चा की गई कि कुछ नेता पेंशनरों को गुमराह करके भ्रामक प्रचार करके समांतर बैठक करते हैं। ऐसे कार्यक्रमों का संघ कड़ा विरोध करता है। इसके साथ ही पहली जनवरी, 2006 से पूर्व सेवानिवृत्त पेंशनरों को केंद्र सरकार की पद्धति पर पूरी पेंशन तथा 50 प्रतिशत पेंशन का लाभ पहली जनवरी, 2006 से दिया जाए। इसके अलावा करुणामूलक आधार पर आश्रितों को नौकरी के सभी लंबित मामले प्रदेश उच्च न्यायालय के छह अक्तूबर, 2015 के निर्णय के अनुसार निपटाए जाएं। पेंशनर्ज ने सरकार से आग्रह किया कि एचआरटीसी पेंशनरों की दो माह की पेंशन के लिए शीघ्र 20 करोड़ दिए जाएं तथा सब-कमेटी की बैठक तुरंत करवाई जाए। साथ ही बिजली की दरें न बढ़ाई जाएं तथा सभी उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाए और मीटर रेंट व सर्विस चार्जेज बंद करवाया जाए। इस मौके पर राज्य महासचिव टीडी ठाकुर, कोषाध्यक्ष एके पठानिया, जिला अध्यक्ष पूर्ण देव शर्मा आदि उपस्थित रहे।

रेगुलर न हुए तो खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा

शिमला  —  बैकडेट से कर्मियों को नियमित करने पर आल हिमाचल पीडब्ल्यूडी-आईपीएच कांट्रैक्चुअल वर्कर्ज यूनियन ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। यूनियन के मुताबिक अदालत ने दिहाड़ीदारों को बैकडेट से नियमित करने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इसका पालन नहीं कर रही। यूनियन के अध्यक्ष सीताराम सैणी ने कहा कि यूनियन अब सरकार के खिलाफ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाएगी। श्री सैणी ने कहा है कि सरकार ने 2006 में आईपीएच में आठ साल पूरा करने वाले दिहाड़ीदारों को नियमित करने का फैसला किया था, जबकि उस समय वे लोग 12 से 14 साल का कार्यकाल पूरा चुके थे। इस तरह उनको 2006 से रेगुलर माना गया, इसके चलते कर्मचारी हाई कोर्ट गए, जहां से जुलाई, 2010 में उनको आठ साल का फायदा बैकडेट से दिए जाने के आदेश दिए गए, लेकिन राज्य सरकार 2011 में इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2015 में हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखा। इस पर सरकार ने चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को तो रेगुलर होने का फायदा दे दिया, लेकिन तृतीय श्रेणी के कर्मियों को इसका फायदा नहीं दिया गया। इस तरह करीब 700 कर्मचारियों को इसका फायदा नहीं दिया गया। ऐसा न करने पर अधिकारियों ने लिखित में कहा कि विभाग में वर्कचार्ज काडर 19 जून, 2001 को खत्म कर दिया गया है। इससे ये कर्मचारी अब इस तारीख के बाद बैकडेट से फायदा लेकर वर्कचार्ज नहीं बनाए जा सकते। श्री सैणी ने कहा कि तथ्य यह है कि 2006 में ही आईपीएच विभाग में वर्कचार्ज काडर खत्म किया गया है। ऐसे में अब उनको विवश होकर न्याय के लिए ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।


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