केरल में असहिष्णुता
( किशोर औटी (ई-मेल के मार्फत) )
केरल में साम्यवाद बनाम हिंदुत्व का संघर्ष कोई नई बात नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें काफी पुरानी व गहरी हैं। शुरुआती दौर में इस समस्या का कोई प्रभावी हल न निकाले जाने के कारण आज उसका भयंकर विस्फोट हो रहा है। केरल में चल रहे घमासान में ज्यादा नुकसान संघ परिवार का हुआ है और अब भी हो ही रहा है। उनके स्वयंसेवकों पर होने वाले जानलेवा हमले, उनके खून की बढ़ती घटनाएं, पुलिस की रिपोर्ट से साबित होती हैं। सत्ताधारी दल किस हद तक मनमानी कर सकता है, इसका एक सटीक उदाहरण केरल राज्य में देखा जा सकता है। इसके देश में क्या परिणाम देखने मिल सकते हैं, यह ध्यान में न लेते हुए साम्यवादी राज्य को तो बदनाम कर ही रहे हैं, साथ ही वहां की भूमि को अपने ही देशवासियों के खून से लहूलुहान कर रहे हैं। केरल में आईएसआईएस ने भी अपनी जड़ें दूर तक फैलाई हुई हैं। इसी कारण देश में सर्वाधिक युवा केरल से ही इस खुंखार और अमानवीय संगठन में शामिल होने के लिए भाग चुके हैं। देश को खत्म करने निकले दुश्मन के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत को नजरअंदाज कर राज्य सरकार संघ के साथ दुश्मनी लेकर दुश्मन को राज्य में अपनी ताकत बढ़ाने का मौका दे रही है। इराक, सीरिया में आईएसआईएस के विरोध में जाने वालों को बुरी तरह से तड़पाया जाता है और वही केरल में जारी है। केंद्र सरकार को इन बिगड़ते हालात पर कड़े कदम उठाने चाहिए।
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