खड़ग खप्परधारी… ये है सोलन की नारी

By: Mar 8th, 2017 12:10 am

newsसोलन —  सोलन जिला के कंडाघाट से संबंध रखने वाली दुनिया कि सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराकर प्रदेश व जिला का नाम ऊंचा किया है, वहीं इसी कार्य के लिए बलजीत कौर को गणतंत्र दिवस पर रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने रक्षा मंत्री पदक से सम्मानित किया है। कंडाघाट के सतड़ोल पंचायत से संबंध रखने वाली बलजीत कौर वर्तमान में सोलन महाविद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर रही है।  सोलन महाविद्यालय की एनसीसी छात्रा बलजीत कौर ने 22 मई, 2016 को माउंट एवरेस्ट पर अपनी पूरी टीम के साथ तिरंगा फहराया था। गौर रहे कि इस टीम में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाली प्रदेश की एकमात्र युवती थी। बलजीत कौर आम ग्रामीण परिवार से संबंध रखने के बाद भी  वीरांगना की भांति दुर्गम परिस्थितियों की परवाह किए बगैर इस मुकाम को हासिल किया है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने से पहले कड़ी मेहनत की थी। बलजीत ने इस सफर की शुरूआत सात जनवरी से तीन फरवरी, 2015 तक दार्जलिंग में बेसिक कोर्स से की। इसके बाद हिमाचल प्रदेश के माउंट देऊ टिब्बा मनाली जिसकी ऊंचाई 6001 मीटर है, 20 मई से 25 जून, 2015 तक चढ़ाई की। उत्तराखंड की माउंट त्रिशूल चोटी की चढ़ाई की, जिसकी ऊंचाई 7120 मीटर है। यह चढ़ाई बलजीत ने 25 अगस्त से तीन अक्तूबर, 2015 तक पूरी की। एक से 30 जनवरी, 2016 तक सियाचिन ग्लेशियर में प्रशिक्षण प्राप्त किया। एक से 30 मार्च, 2016 तक डीजी एनसीसी परेड ग्राउंड नई दिल्ली में शारीरिक फिटनेस प्रशिक्षण प्राप्त किया। 31 मार्च से सात जून तक विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की और 22 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया।

पुलिस अधीक्षक सोलन अंजुम आरा ने जिला में ड्रग माफिया व भगौड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की है। देश की दूसरी मुस्लिम आईपीएस महिला अंजुम आरा ने करीब एक वर्ष पहले पुलिस अधीक्षक का कार्यभार संभाला था। अंजुम आरा का खौफ अपराधियों के मन में इस कद्र है कि वह नाम सुनते ही कांपने लग जाते हैं। खास बात यह है कि उनके कार्यकाल में आपराधिक घटनाओं का ग्राफ कम हुआ है। अधिकतर आपराधिक मामलों को उन्होंने हल करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने ड्रग माफिया व भगौड़े अपराधियों पर शिकंजा कसा है। अंजुम आरा ने सोलन में एक नई पहल भी की है। उन्होंने आम जनता को पुलिस सहायता मुहैया करनवाए जाने के लिए एक व्हाट्स एप ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप में आम लोगों को जोड़ा गया है। यह ग्र्रुप लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। ग्रुप के माध्यम से लोग अपने आसपास हो रही आपराधिक घटनाओं व अवैध कार्र्यों की सूचना आसानी से दे सकते हैं तथा सूचना देने वाले का नाम पता गुप्त रखा जाता है। अंजुम आरा उत्तर प्रदेश आजमगढ़ जिला के गांव कुम्हरिया की रहने वाली हैं। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक की शिक्षा लखनऊ से प्राप्त की है।  वर्ष 2011 में आईपीएस की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें पहला काडर मणिपुर दिया गया था। बाद में उन्हें हिमाचल काडर में भेज दिया गया। हिमाचल प्रदेश में बीते करीब चार वर्षर्ाें से सेवाएं दे रही हैं। इससे पहले वह साइबर क्राइम शिमला में एएसपी रह चुकी हैं। अंजुम आरा का कहना है कि आज के युग में लड़कियां किसी से कम नहीं है। प्रत्येक क्षेत्र में लड़कियों ने अपनी प्रतिभा  का लोहा मनवाया है, इसलिए युवतियों को भी चाहिए कि वह अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा उतरें। अपने मार्ग से न भटके। जीवन में  जो भी लक्ष्य तय किया है, उसे हमेशा अपने दिमाग में रखें और उसी के मुताबिक कड़ी मेहनत करें।

संजना गायल ने देशभर में सोलन का नाम रोशन किया है। वह मस्कुलर डिस्ट्राफी ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय अध्यक्ष है। उन्हें कई बार राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। एक विशेष प्रकार की बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रोफी से वह ग्रस्त हैं, लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी और इस बीमारी को अपने दम पर मात दी है। संजना गोयल देश की उन तमाम महिलाओं के लिए मिसाल  है, जो किसी न किसी वजह से जीवन की जंग हार चुकी हैं। उन्होंने अपने निजी प्रयासों से देश के पहले  मस्कुलर डिस्ट्राफी अस्पताल की स्थापना की है। शहर के साथ लगते कोठो गांव में इस अस्पताल  को स्थापित किया गया है, यहां पर देशभर से आने वाले मस्कुलर डिस्ट्रोफी के मरीजों का उपचार किया जाता है। जिस कार्य को करने में सरकार सफल नहीं हो पाई, उस कार्य को संजना गोयल ने करके दिखाया है। संजना गोयल सोलन से ही संबंध रखती है।

सोलन के कंडाघाट की रहने वाली स्मृति एक बहेतरीन हाकी खिलाड़ी है। स्मृति ने किन्नौर जिले के कल्पा में सैनिकों के साथ हॉकी टीम में भाग लेकर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज करवाया है। एक गरीब परिवार से संबंध रखने वाली इस लड़की के हौसले बुलंद है। वर्तमान में स्मृति कंडाघाट स्कूल से बाहरवीं कक्षा में है। स्मृति ने हॉकी में तीन बार नेशनल खेला है और कई पदक अपने नाम किए हैं। बेहतरीन खिलाड़ी होने के चलते स्मृति अन्य खेलों में भी अपना नाम कमा चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल का नाम रोशन करने पर इस गणंतत्र दिवस पर सोलन में सम्मानित भी किया गया है। स्मृति ने रग्बी खेल में भी जिला का नाम रोशन किया है। स्मृति रग्बी खेल में राष्ट्रीय स्तर पर अपना दम दिख चुकी है।


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