गोसदनों के लिए केंद्र को देनी होगी मदद

By: Mar 19th, 2017 12:15 am

अगले महीने भेजा जाएगा प्रस्ताव, प्रदेश में करीब 35 हजार लावारिस पशु

newsशिमला— हिमाचल में 35 हजार के लगभग लावारिस पशुओं को आश्रय देने के लिए जो गोसदन बनाए जाने हैं, उनके लिए वित्तीय सहायता अब केंद्र को देनी होगी। इसके लिए राज्य सरकार अप्रैल तक प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को सौंपने जा रही है। इसकी पुष्टि ‘दिव्य हिमाचल’ से खुद पशुपालन मंत्री अनिल शर्मा ने की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद अब केंद्र को इसके लिए पैसा जुटाना होगा। विभिन्न जिलों की रिपोर्ट मंगवाई गई है। इसके बाद एक मुकम्मल योजना बनाकर वित्तीय सहायता के लिए इसे केंद्र को भेजा जाएगा। यही नहीं, प्रदेश में लावारिस गउओं व  बैलों को गोसदनों तक ले जाने के लिए जो सुझाव आए हैं, उन पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र के दौरान कई विधायकों ने सुझाव दिए हैं कि 15-15 पंचायतों के क्लस्टर बनाकर उन्हें धार्मिक स्थलों से जोड़ा जाए। वित्तीय फंडिंग भी इसी के तहत मुहैया करवाई जाए, ताकि आवारा पशुओं की समस्या से निजात मिल सके। इससे पहले योजना यह भी थी कि हर पंचायत में गोसदन के लिए राज्य सरकार कदम उठाएगी, मगर वित्तीय दिक्कतों के चलते यह संभव नहीं हो सका। अब 2011 के बाद जहां पशुपालन विभाग आवारा पशुओं की गणना करने जा रहा है, वहीं केंद्र से यदि वित्तीय सहायता मिलती है तो ऐसे आवारा पशुओं के बसाव के लिए बड़े गोसदन भी क्लस्टर योजना के तहत तैयार किए जा सकते हैं।

विभागों में समन्वय की कमी

सीमांत क्षेत्रों में पड़ोसी राज्यों से लावारिस बैल ट्रकों व अन्य वाहनों द्वारा छोड़े जा रहे हैं। रात के वक्त इन्हें मैदानी इलाकों के कई शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में छोड़ा जा रहा है। इसके लिए पुलिस व स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है, मगर विधानसभा तक में यह मुद्दा गूंजने के बावजूद अंतरविभागीय समन्वय स्थापित नहीं किया जा सका है।

एक वजह यह भी

पड़ोसी राज्यों से मैदानी क्षेत्रों में लावारिस पशु छोड़े जा रहे हैं। इसकी मिसाल यहां से भी ली जा सकती है कि शिमला व अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसी समस्याएं नहीं हैं। क्योंकि ट्रक व अन्य वाहन मैदानी इलाकों में ही ज्यादा आवाजाही करते मिलते हैं।


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