घाटा पूरा करने को बढ़ेगी 10 फीसदी फीस!
एचपीयू ने पेश किया वित्त वर्ष का बजट, 25 करोड़ का घाटा दूर करने को रखा प्रस्ताव, 23 को ईसी की मीटिंग में अंतिम मुहर
शिमला — हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सोमवार को बजट पेश कर दिया गया। इसे 23 मार्च को विश्वविद्यालय कार्यकारिणी परिषद की बैठक में मंजूरी मिलेगी। विश्वविद्यालय की ओर से यह बजट सोमवार को सचिवालय में वित्त सचिव श्रीकांत बाल्दी की अध्यक्षता में हुई विश्वविद्यालय वित्त समिति की बैठक में पेश किया गया है। विश्वविद्यालय से इस बैठक में कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी, प्रति कुलपति प्रो. राजेंद्र सिंह चौहान, कुल सचिव डा. पंकज ललित और वित्त अधिकारी नरेश ठाकुर उपस्थित रहे। पेश किए गए 191 करोड़ के बजट में 25 करोड़ का घाटा दर्शाया गया है, जिसे दूर करने के लिए 10 फीसदी फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव पर विवि कार्यकारिणी परिषद की बैठक में फैसला लिया जाएगा। हालांकि इस वर्ष सरकार की तरफ से विश्वविद्यालय को 100 करोड़ का अनुदान दिया गया है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय का घाटा दूर नहीं हो पा रहा। आलम यह है कि 150 करोड़ की मोटी रकम विश्वविद्यालय के 400 कर्मियों व अधिकारियों के सालाना वेतन-भत्तों पर खर्च हो रही है। अभी भी विश्वविद्यालय में करीब 200 पद शिक्षकों व 250 के करीब गैर शिक्षकों के पद खाली चल रहे हैं, जिसमें से 94 शिक्षकों और 84 से अधिक गैर शिक्षक कर्मचारियों के पद विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञापित कर दिए गए हैं। यानी इन्हें भरने के लिए विश्वविद्यालय को और धन चाहिए। इसके लिए क्या-क्या प्रस्ताव हैं, संसाधन कहां से जुटाए जाएंगे, इसका उल्लेख विवि द्वारा बजट में किया तो गया है, मगर इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। विवि के वित्त अधिकारी नरेश ठाकुर ने कहा है कि जब तक ईसी की मुहर नहीं लग जाती, तब तक इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
यह है पिछले साल का लेखा-जोखा
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में वित्त वर्ष 2016-17 के लिए बजट 177.50 करोड़ का था, जिसमें 20.36 करोड़ का घाटा दर्शाया गया था। वहीं बात की जाए वित्त वर्ष 2015-16 की, तो विवि का बजट 155.24 करोड़ था, जिसमें घाटा 24.76 करोड़ का था। इस बार वर्ष 2017-18 के लिए पेश किया गया बजट जहां राशि में अधिक है, वहीं घाटा भी गत दो वर्षों से अधिक है।
विश्वविद्यालय की सालाना आय 66 करोड़
विश्वविद्यालय की सालाना आय 66 करोड़ है, जो फीस व अन्य साधनों से जुटाई जा रही है। बहरहाल, प्रदेश विश्वविद्यालय जो अब रैंकिंग में भी अव्वल आ चुका है। सरकारी वित्तीय सहायता बढ़ने के बाद इसके आगामी दिन बहुरेंगे होंगे। बजट में संसाधन जुटाने के नुस्खे भी दिखेंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
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