चिंता थी तो वाकआउट के बाद ही सदन में आ जाते

By: Mar 30th, 2017 12:04 am

NEWSNEWSशिमला— प्रश्नकाल के बाद विपक्ष ने मंगलवार के दिन उसकी अनुपस्थिति में सत्तापक्ष द्वारा पारित की गई सड़क व शिक्षा पर आधारित अनुदान मांगों पर एतराज जताते हुए इसे अलोकतांत्रिक करार दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि विपक्ष इन मांगों के प्रति इतना ही गंभीर था तो वाकआउट के माध्यम से विरोध जताने के बाद विपक्ष वापस सदन में भी लौट सकता था। बुधवार को जैसे ही प्रश्नकाल समाप्त हुआ, भाजपा के चीफ व्हिप व विधायक सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मंगलवार को भोजनावकाश के बावजूद डेढ़ बजे तक सदन की कार्यवाही चलती रही। विपक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर वाकआउट किया। उनका कहना था कि उन्होंने यही सोचा था कि सत्तापक्ष भी अब भोजनावकाश के लिए उठेगा। लंच के बाद मांगों पर चर्चा होगी, मगर जानबूझ कर सभी बड़ी मांगें रख दी गईं और पारित करवा दी गईं। मुख्यमंत्री को जवाब न देना पड़े, इसलिए सत्तापक्ष द्वारा ऐसा किया गया। उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष ने ऐसा करके अकर्मण्यता की मिसाल पेश की है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जब मांगें आनी थी तो विपक्ष तब सदन में मौजूद नहीं था, न ही सदन की कार्यवाही लंच के लिए स्थगित की गई थी। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा इतनी ही चौकस थी तो लौट आती। विपक्ष की तरफ से प्रतिपक्ष के नेता प्रो. धूमल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जब एक बजे तक मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री जवाब दे रहे थे, उस दौरान भोजनावकाश का वक्त था। विधानसभा अध्यक्ष ने भी कार्यवाही बढ़ाने की बात नहीं की। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी महत्त्वपूर्ण मांगों पर विपक्ष सुझाव रख सकता था। स्वाभाविक था यदि इन पर मतदान होता तो ये पारित भी हो जाती, क्योंकि सत्तापक्ष बहुमत में है। मुख्यमंत्री ने फिर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विपक्ष जब बाहर गया, उस दौरान भी विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार की कार्यवाही भोजनावकाश के लिए स्थगित नहीं की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विपक्ष की नकारात्मकता है।

सीएम बोले, हम डरते नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्तापक्ष को कोई डर नहीं है। सरकार किसी भी चर्चा को बैठने के लिए तैयार है। उनके पास बहुमत है, किसी से डरने की जरूरत नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को बाहर नहीं निकाला, विपक्ष मांगों के प्रति गंभीर ही नहीं है।

वाकआउट विपक्ष का अधिकार

मुख्यमंत्री की इस प्रतिक्रिया पर सदन में ही विपक्ष के नेता प्रो. धूमल ने कहा कि वाकआउट विपक्ष का अधिकार है व लंच भी अधिकार है। भोजनावकाश के बाद यदि कार्यवाही चलानी थी, तो उसे बढ़ाने का ऐलान किया जाता।

बुटेल ने कहा, ऐसी 100 मिसालें

सत्तापक्ष व विपक्ष के इस संदर्भ में आरोप-प्रत्यारोप के बीच विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने कहा कि ऐसी 100 मिसालें हैं कि कार्यवाही भोजनावकाश के दौरान भी चलती रही। जब सदन की सहमति थी, तभी कार्यवाही चल रही थी।


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