चुनावी कलम से लिखा बजट

By: Mar 11th, 2017 12:02 am

सुनने और समझने की कठिन कवायद के साथ, हिमाचल के बजट ने रिकार्ड बनाने के इतने लम्हे जोड़े कि साढ़े चार घंटे गुजर गए। बजट की आबरू में प्रदेश के आर्थिक संसाधनों और चुनावी साल की आशाओं का उद्घोष एक साथ सुना जा सकता है। चुनाव की कलम से लिखे गए बजटीय भाषण की तासीर जैसी हो सकती है, उससे कहीं आगे निकलने की कोशिश वीरभद्र सिंह सरकार ने की है। लिहाजा इसका अर्थ केवल अर्थशास्त्र से नहीं निकाला जा सकता है और इसे परखने के लिए सियासी पंडितों को भी लाजिमी तौर पर सिर खपाना पड़ेगा। वादों-इरादों की गर्जना के बीच, जो पहलू पूरी सरकार के साथ राजनीति को सींच गया, उसे हम बेरोजगारी भत्ता कहें या युवा पीढ़ी का जेब खर्च, लेकिन इन तर्कों के आगे खजाना हार गया। वास्तव में बजट अब एक ऐसी प्रस्तुति के रूप में आता है, जहां केवल उधारी जीत जाती है-खजाना पश्चाताप करता है। वर्तमान बजट के खाके में जनता के पास अत्यधिक मुस्कराने का समय है, जबकि उदारता से रेखांकित विषय अर्थव्यवस्था का दामन निचोड़ देंगे। मौजूदा बजट ने कर्जदारी का पोशाक पहना है और इसके पैमाने आर्थिक तर्कों से बेपरवाह होकर सरकार की एक पारी की हिफाजत में उछल रहे हैं। बजट जीता या सरकार, फैसला कड़वे सच की तरह हमें बता रहा है कि साढ़े चार घंटे की शब्दावली में हिमाचल के हर कोने को ठीक से छूने की कोशिश हुई, तो विपक्ष के पास आलोचना का समय कम पड़ सकता है। किसान-बागबान के करीब खड़े होते बजट ने कुछ नया करने की ठानी तो मुख्यमंत्री ने कीवी प्रोत्साहन योजना तथा मुख्यमंत्री ग्रीन हाउस रेनोवेशन स्कीम के तहत नए सपने दिखा दिए। बजट के माध्यम से प्रोत्साहन का जो एक फलक तैयार हुआ है, उसके तहत जैविक खेती तथा उत्तम पशु पुरस्कार योजनाएं सीधे खेती की परंपराओं से जुड़ रही हैं। पशु चिकित्सालयों के मार्फत हेल्पलाइन की शुरुआत से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रारूप में किसान की मदद होगी। आधुनिक हिमाचल के विकास में चित्रित हो रहे शहरीकरण की तहजीब में बजट के रंग मुखातिब हैं, लेकिन बस अड्डों के निर्माण को मात्र दस करोड़ की राशि से तो केवल परिवहन मंत्री के गृहनगर का परिसर भी मुश्किल से विकसित होगा। परिवहन नगरों की रूपरेखा में इस बार बजट अगर पिछले के मुकाबले आधा हुआ है, तो इस क्षेत्र की उपेक्षा ही मानी जाएगी। पर्यटन से हिमाचली रिश्तों की महक के बीच, हिमालयन सर्किट के समर्थन में सौ करोड़ की राशि का महत्त्व दिखाई देता है। विद्युत दरों में कटौती से होटल व्यवसाय को अपने खर्चे नियंत्रित करने में बल मिलेगा। शिक्षा के उच्च मानदंडों पर बहस हो सकती है, फिर भी शिमला विश्वविद्यालय के खाते में आ रहे सौ करोड़ से लक्ष्य उन्नत किए जा सकते हैं। कला और लेखक जगत के लिए वीरभद्र सिंह का बजट मेहरबान होकर अगर शिमला व चंबा के संग्रहालयों में विधियां बढ़ा रहा है, तो राजधानी में लेखक गृह के निर्माण से साहित्य जगत की एक मंजिल पूर्ण होती दिखाई देती है। वीरभद्र सिंह सरकार ने सभागृहों के निर्माण के लिए पुनः बजट मुहैया करवाकर इस मुहिम को कला प्रेमियों और कलाकारों के साथ आगे बढ़ाया है। खेल विकास योजना से विकसित होते मैदानों और इंडोर खेल परिसरों के निर्माण को गति देकर सरकार युवाओं को बड़ा संदेश देना चाहती है, तो फिल्म शूटिंग संबंधित अनुमतियों की एकल खिड़की स्थापित करने से इस उद्योग के नक्शे पर हिमाचल को ला रही है। यह दीगर है कि फिल्म सिटी का कोई भी प्रारूप बजट के भाषण में दिखाई नहीं दिया। पौंग बांध में स्थायी पक्षी मानिटरिंग केंद्र की स्थापना तथा बैंटनी कैसल में सांस्कृतिक केंद्र का विकास, हिमाचल में सैलानियों के आकर्षण में इजाफा करेंगे। बजट के माध्यम से मुख्यमंत्री ने अपना दर्शन व सभी वर्गों के प्रति उद्गार प्रकट किए हैं। बजट की मूल भावना से सरकार का प्रदर्शन और पुनः लौटने का मार्ग दिखाई देता है। हम इसे चतुराई से गूंथा गया बजट मानें, फिर भी परिदृश्य को चुराने के लिए अंदाज अच्छा है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App