जड़ी-बूटी को नहीं मिला बाजार

By: Mar 24th, 2017 12:05 am

नैनाटिक्कर —  पच्छाद क्षेत्र के निचले हिस्से प्राकृतिक और बहुमूल्य जड़ी बूटियों से भरपूर होने के बावजूद उचित बाजार तथा सरकारी संरक्षण न मिलने से किसी उपयोग का नहीं रहा है। गौर हो कि इस क्षेत्र में लगभग 100 से अधिक सर्व सुलभ तथा कीमती जड़ी-बूटियां पाई जाती है जिन में से स्थानीय लोग कुछेक का ही परम्परागत रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं बाकी ऐसे ही जंगलों में नष्ट हो जाती है। पुरानी पीढ़ी के कुछेक लोग तो काफी जड़ी बूटियों के बारे में जानकारी रखते है परंतु युवा पीढ़ी लगभग इन जुड़ी बूटियों से अंजान ही है। गौर हो कि आंवलाए  हरड़ए बेहड़ाए  रीठाए  अडूसा , वासा ,कंटकारी, गिलोय,  बच ,मकोय , काकड़सिंगी, करीपत्ता , चिरायता , बनक्शा , दारूहल्दी , ब्राह्मीबूटी , अश्वगंधा जैसी  सौ से भी अधिक जड़ी-बूटियां यहां के जंगलो मे बहुतायत मे पाई जाती हैं मगर जानकारी तथा बाजार के अभाव मे ना ही स्थानीय जनता इनका दोहन कर पा रही है और ना ही सरकार इन के संरक्षण या दोहन का मार्ग प्रशस्त कर पा रही है। स्थानीय अनजान जनता के लिए तो ये घास के समान है मगर आयुर्वेदिक कंपनियां इन्ही जड़ी-बूटियों से अत्यधिक मंहगी औषधियां तैयार कर के बेच रहीं हैं। सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि हिमाचल प्रदेश आयुष विभाग हर साल लाखों रुपये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के विकास एवं संवर्धन के लिए खर्च कर रहा है मगर धरातल पर कुछ भी नजर नही आता। हमारे चारों ओर जड़ी बूटियों के रूप मे असीम तथा मूल्यवान संपदा बिखरी पड़ी है मगर जानकारी न होने के अभाव मे हमारे लिए बेकार है। स्थानीय जनता का कहना है कि अगर इस इलाके में प्रदेश सरकार कोई आयुर्वेदिक फार्मेंसी स्थापित कर दे तो इन जड़ी बूटियों के दोहन के साथ ही स्थानीय जनता की आर्थिकी जंहा मजबूत होगी वही प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी बढ़ेगा तथा सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी हो सकती है। क्षेत्रवासियों की सरकार से पुरजोर मांग है कि आयुर्वेदिक फार्मेंसी के अलावा यहां आयुष विभाग तथा वन विभाग के सहयोग से फिलहाल अगर जड़ी-बूटी खरीद केंद्र भी खुल जाए तो भी यहां की जनता की आर्थिकी में आश्चर्यजनक सुधार आ सकता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App