दलदल में फंसा वाटर हाई-वेज प्रोजेक्ट

By: Mar 25th, 2017 12:02 am

केंद्र ने फिर आपत्ति लगा पूछा, घाट सुधार के लिए क्या तकनीक अपनाएंगे

शिमला— केंद्र की मंजूरी के बावजूद गोबिंदसागर से लेकर कोल डैम तक फैले गाद के बड़े भंडारों ने वाटर हाई-वे प्रोजेक्ट फिर रोक दिया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अब केंदीय मंत्रालय ने आपत्ति लगवाकर इस प्रोजेक्ट को संशोधित रूप में भेजने के लिए कहा है। केंद्र ने कंसल्टेंट को फिर से गोबिंदसागर में अढ़ाई किलोमीटर तक जेट्टी प्रबंधन यानी घाट सुधार के लिए क्या तकनीक अपनाई जा सकती है, इसकी रिपोर्ट देने को कहा है। दरअसल गर्मियों में जब पानी का स्तर गिरता है तो गोबिंदसागर जो भाखड़ा बांध का जलाशय है, वहां दलदल के बड़े मैदान निकल आते हैं। ऐसे में वाटर हाई-वेज के लिए यह सबसे बड़ी दिक्कत के तौर पर उभरा है। कंसल्टेंट अब ये बताएंगे कि इस दिक्कत से निजात पाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। जलाशय में दलदल के ये मैदान बरसात तक यूं ही बरकरार रहते हैं। साठ के दशक से लेकर अब तक बिलासपुर में औहर से लेकर भाखड़ा से कुछ पीछे तक दलदल को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठ सके हैं। यही वजह रही कि अब पर्यटन व व्यावसायिक दृष्टि से सबसे बड़े प्रोजेक्ट की राह में यह रोड़ा बन रही है। केंद्र इस प्रोजेक्ट के लिए 90ः10 अनुपात में सहायता राशि देगा। राज्य सरकार का प्रयास यह है कि बिलासपुर के गोबिंदसागर व कोल डैम में दक्षिण व पश्चिम राज्यों की ही तर्ज पर बड़ी नौकाएं व मोटर बोट्स आवाजाही कर सकें, मगर दिक्कत यह है कि साल के तीन महीने न केवल गोबिंदसागर का पानी सूख जाता है, बल्कि कोल डैम में भी यही दिक्कतें सिल्ट की वजह से पेश आएंगी। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में इन दोनों ही क्षेत्रों को जल परिवहन के लिए उपयुक्त करार दिया गया है, मगर यहां बड़े स्तर के परिवहन साधन प्रयुक्त नहीं किए जा सकते हैं। केंद्र सरकार पहले ही बिहार के पटना, पश्चिम बंगाल, यूपी व कावेरी तटों के लिए यह बड़ी योजना मंजूर कर चुकी है। अब हिमाचल के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है, बशर्ते सिल्ट का समाधान मिले। ये कंसल्टेंट्स व प्रोजेक्ट सलाहकार केंद्र ने इनलैंड वाटर अथारिटी ऑफ इंडिया से नियुक्त किए हैं, जिन्होंने यह रिपोर्ट सौंपी थी।

पर्यटन को नई दिशा

प्रोजेक्ट मंजूर होने पर बिलासपुर के गोबिंदसागर से लेकर भाखड़ा तक और कोल डैम के क्षेत्र में विभिन्न घाटों का सुधार होगा। इसके लिए केंद्र उदार वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इससे इन क्षेत्रों के पर्यटन विकास को नई दिशा मिल सकती है।

चमेरा भी शामिल

वाटर हाई-वे प्रोजेक्ट में अब चमेरा को भी शामिल किए जाने की सूचना है। यानी अब सिल्ट समाधान के लिए तो सर्वे होगा ही, चमेरा के लिए भी रिपोर्ट तैयार हो रही है।


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