दुधेश्वरनाथ मंदिर

By: Mar 4th, 2017 12:07 am

दुधेश्वरनाथ मंदिररूद्रपुर के दुधेश्वरनाथ मंदिर को पुराणों में दूसरी काशी के रूप में जाना जाता है। यहां शिवलिंग को महाकालेश्वर उज्जैन का उप ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह शिवलिंग काले पत्थर नीसक पत्थर (कसौटी) का बना है। मान्यता है कि स्पर्श मात्र से मनुष्यों के पापों का नाश हो जाता है और मन्नतें पूरी होती हैं। भारत में वैसे तो अनेकानेक मंदिर शिवालय हैं, परंतु 11वीं सदी में अष्टकोण में बने प्रसिद्ध दुधेश्वरनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। स्कंदपुराण में भी इस मंदिर का वर्णन है तथा इसे द्वाद्वश लिंग की भांति महत्त्वपूर्ण बताया गया है। मान्यता है कि कभी यह स्थान घने जंगल से घिरा था और चरवाहे अपनी गउओं को चराने के लिए आते तथा कुछ दिनों तक रहते भी थे। बताया जाता है एक गाय बह्म वेला में एक टीले के समीप खड़ी हो जाती थी और उसके स्तनों से स्वतः दूध की धारा टीले पर गिरनी शुरू हो जाती थी। इस बात की जानकारी जब सतासी नरेश को हुई तो उन्होंने उस टीले की खुदाई करानी शुरू करा दी। ज्यों-ज्यों खुदाई होती गई, यहां का शिवलिंग नीचे धंसता गया और राजा ने खुदाई बंद कराकर वहां एक मंदिर का निर्माण कराया, जिसका नाम दुधेश्वरनाथ रखा गया। यहां का शिवलिंग पातालगामी है।  सलेमपुर क्षेत्र में स्थित दुधेश्वरनाथ मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां का शिवलिंग स्वयं-भू है। इस मंदिर में वैसे तो पूरे वर्षभर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन शिवरात्रि, श्रावण मास और अधिकमास में मन्नत पूरी होने की आस लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ती है। अधिक मास में यहां एक महीने मेले जैसा माहौल रहता है। कहा जाता है कि महाभारत काल के अश्वत्थामा की यह तपोस्थली है। भक्तों को दीर्घायु होेने का आशीर्वाद देने के कारण इस मंदिर को दीर्घेश्वरनाथ के नाम से भी जाना जाता है। अश्वत्थामा इस मंदिर में रात के तीसरे पहर में पूजा करने आते हैं। रात में मंदिर बंद हो जाता है और जब सुबह मंदिर का कपाट खुलता है, तो शिवलिंग पर पूजन सामग्री चढ़ी मिलती है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App