नक्सलियों का दुस्साहस

By: Mar 14th, 2017 12:01 am

( जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र )

छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए हैं। नोटबंदी के बाद नक्सलियों की आक्रामकता कम हो गई थी। उनके पास जो बड़े नोट थे, वे किसी काम के नहीं रहे थे। यह अच्छी तरह समझने के बाद कुछ ने आत्मसमर्पण भी किया था, लेकिन नोटबंदी के बाद जैसे स्थिति सामान्य होने लगी, तो फिर उन्होंने अपने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। कुछ नक्सलियों ने जब आत्मसमर्पण किया था, तब पैसों की कमी का कारण ही सामने आया था। पैसों के बिना उन्हें काम करना कितना मुश्किल होता है, यह तब पता चल गया था। कश्मीर में भी नोटबंदी के समय पथराव रुक गया था। अब वहां फिर से पहले जैसे हालात बनाने में अलगाववादी जुट गए हैं। घात लगाकर हमला करना आतंकवादी, नक्सलियों की रणनीति का हिस्सा रहा है। उन्हें पता होता है कि वे खुद तो मारे जाएंगे, पर मरते समय सामने वाले का भी नुकसान करके जाने की उन्हें सीख दी जाती है। आतंकवादी, नक्सली और पथराव करने वाले अलगाववादियों को काबू में लाना है तो उनके आर्थिक स्रोतों को कुचलना होगा। नाक दबाने पर ही मुंह खुलता है। बिना पैसे जब भूखे मारे जाने का डर रहेगा, तो उनकी आक्रामकता कम  होकर ठंडी पड़ जाएगी। इसके साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रक्षा तंत्र को और भी सख्त कर देना चाहिए।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App