पहाड़ की मेहनती नारी

By: Mar 8th, 2017 12:05 am

( इंदु पटियाल, कुल्लू )

इसमें कोई संदेह ही नहीं हो सकता कि देवभूमि की महिलाएं बेहद परिश्रमी और ईमानदार हैं।  प्रदेश में भले ही पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है, फिर भी यहां की साहसी महिलाओं ने ओपन सीटों पर चुनाव जीतकर अपनी काबिलीयत का लोहा मनवाया है। घर-गृहस्थी के कामकाज से लेकर खेतीबाड़ी, पशुपालन, बच्चों की देखभाल, सामाजिक आचार-व्यवहार, लोक परंपराओं की परवरिश से लेकर सिलाई-बुनाई सरीखे कामों में पहाड़ी महिलाओं की दक्षता जगजाहिर है। कुल्लवी टोपी, शॉल, मफलर या गर्म कपड़े से बने कोट ने अगर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बाजार की शोभा बढ़ाई है, तो इसके पीछे भी हिमाचल की महिला बुनकरों की मेहनत बोलती है। हालांकि हिमाचली नारी की क्षमताओं का आकाश यहीं तक सीमित नहीं है। अगर शासन-प्रशासन के स्तर से इन्हें नीतिगत व आर्थिक सहयोग प्राप्त हो जाए, तो यह वर्ग प्रदेश की आर्थिक-सामाजिक व सांस्कृतिक प्रगति को नए आयाम दिला सकता है। इसके तहत ग्रामीण विकास को गति देने के लिए जहां लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है, वहीं मनरेगा सरीखे कार्यों में भी महिलाओं की भूमिका को नए सिरे से स्पष्ट करने की जरूरत है। महिला दिवस के अवसर पर प्रदेश की हर महिला को हार्दिक शुभाकामनाएं और इसी के साथ अपेक्षा रहेगी कि महिला सशक्तिकरण का जो सफर प्रदेश में जारी है, आने वाले वक्त में उसे और भी रफ्तार दी जाएगी।

 


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