पानी के लिए खड्डों-नदियों में खनन बंद हो

By: Mar 31st, 2017 12:02 am

सीपीएस धर्माणी का सुझाव, माइनिंग के लिए चुनी जा सकती हैं पहाड़ी ढलानें

शिमला— आईपीएच पर कटौती प्रस्ताव पर आधारित मांग पर चर्चा करते हुए सीपीएस राजेश धर्माणी ने कहा कि मौजूदा दौर में यह आवश्यक हो गया है कि जल स्रोतों को बचाने के लिए नदियों व खड्डों में खनन करने की अनुमति न दी जाए। इसके लिए पहाड़ी ढलानों या अन्य क्षेत्रों को चुना जा सकता है। उन्होंने कहा कि क्रशर भी ऐसे ही क्षेत्रों में लगने चाहिए। पेयजल योजनाओं के लिए आउटसोर्सिंग भर्तियों में की जानी चाहिए, न कि प्रोजेक्ट्स चलाने के लिए। जिस दर से पैसा खर्च किया जा रहा है, उस अनुपात में आउटसोर्सिंग का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए कॉल सेंटर सुबह छह से शाम 10-11 बजे तक चलाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सर्विस टैक्स हटाए,  इससे उपभोक्ताओं को और लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार ने एनआरडब्ल्यूपी स्कीमों में 10 गुना कटौती कर दी है, इसी वजह से 24 करोड़ की जाहू-बम स्कीम नहीं बन पा रही। सीर खड्ड का तटीकरण भी रुका पड़ा है। उन्होंने कहा कि सीवरेज सिस्टम में केंद्र सरकार द्वारा तकनीकी बदलाव लाए जाने की सूचना के बाद ही ऐसे प्रोजेक्ट्स के कार्य में देरी हो रही है। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि सर्विस टैक्स खत्म करने की वकालत मोदी सरकार से करें। उन्होंने कहा कि पेयजल सिस्टम को सुधारने के लिए रिपोर्टिंग सिस्टम बनाना आवश्यक है, ताकि पंचायतों व उपभोक्ताओं को मालूम हो सके कि दिक्कतें कहां आ रही हैं। इससे अफसरों की बहानेबाजी भी रुकेगी। उन्होंने घुमारवीं व बिलासपुर क्षेत्रों के पुनर्गठन के बाद आ रही दिक्कतों को उठाते हुए कहा कि इससे पेश आ रही स्टाफ की दिक्कत हल की जानी चाहिए। विधायक किशोरी लाल ने भी चर्चा में भाग  लिया। विधायक बलवीर वर्मा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि चौपाल में पेयजल की दिक्कतें पेश आ रही हैं। पाइपों की कमी से भी कई स्कीमों का कार्य लटका पड़ा है।

तीन साल में 57934 बंदरों की नसबंदी

शिमला— प्रदेश में मौजूद दो लाख सात हजार 614 बंदरों में से तीन साल में 57 हजार 934 बंदरों की नसबंदी कर दी गई है। यह जानकारी एक लिखित सवाल के उत्तर में सदन में दी गई है।


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