बेरोजगारों के हाथ में भत्ते का झुनझुना

By: Mar 18th, 2017 12:05 am

( विजय शर्मा लेखक, टौणी देवी, हमीरपुर से हैं )

विजय शर्मा चार साल तक तो कांग्रेस सरकार को अपने घोषणा पत्र में किए बेरोजगारी भत्ते के वादे की याद नहीं आई, लेकिन अब किंतु-परंतु के साथ बेरोजगार युवाओं के लिए शर्तों के साथ बेरोजगारी भत्ता देने के लिए बजट में 150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। कब तक प्रदेश की प्रतिभा के साथ ऐसा अन्याय होता रहेगा…

सरकार का अंतिम बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने काफी नानुकर के बाद चुनावों को ध्यान में  रखते हुए युवाओं के लिए 1000 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान किया है। यह कब से दिया जाएगा, बजट में इसका कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। यह जो भत्ते कीद खैरात बांटी जा रही है, उससे एक बात स्पष्ट रूप से उभर कर आई है कि प्रदेश  सरकार के पास बेरोजगारी से निपटने का कोई विकल्प नहीं है। 2012 के चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनने पर प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की थी। इसमें कहीं कोई शर्त नहीं थी। सरकार बनने के चार साल तक तो कांग्रेसनीत सरकार को अपने घोषणा पत्र के इस वादे की याद नहीं आई, लेकिन अब किंतु-परंतु के साथ बेरोजगार युवाओं के लिए शर्तों के साथ बेरोजगारी भत्ता देने के लिए बजट में 150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसमें शर्त यह है कि उस बेरोजगार युवा के परिवार की सालाना आय दो लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए और वह युवा कम से कम 12वीं पास या इससे अधिक पढ़ा-खिला हो।  ध्यान रहे कि इसमें उन बेरोजगार युवाओं को छोड़ दिया गया है, जो किसी कारणवश आठवीं या दसवीं के बाद अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके और वर्तमान में बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।

प्रदेश के रोजगार कार्यालयों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 2012 में बेरोजगारों की संख्या 8, 65,000 थी।  उसके बाद अगले दो वर्षों में 1,61,147 और युवाओं ने अपना पंजीकरण कराया है। अतः रोजगार कार्यालय के आंकड़ों को ही आधार मानें, तो 2014 तक ही बेरोजगार युवाओं की संख्या 10 लाख पार कर चुकी थी और अब यह संख्या 12 लाख तक पहुंच चुकी है। यह भी कि कार्यालयी पेचीदगियों के चलते कितने ही बेरोजगार यहां अपना पंजीकरण नहीं करवाते। 2012 के बाद  प्रदेश सरकार ने कितने युवाओं को रोजगार दिया है और कितने युवाओं को केंद्र सरकार की सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों में नौकरियां मिली हैं, इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं और न ही प्रदेश सरकार ने यह जानने की जहमत उठाई है। अतः बेरोजगारों की संख्या 12 लाख के आसपास ही मानकर चलना चाहिए और बेरोजगारों की इतनी बड़ी संख्या के लिए मात्र 150 करोड़ रुपए का प्रावधान ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही माना जाएगा। यही कारण है कि बजट में इसकी घोषणा होते ही विपक्ष के नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने यह कहकर इस पर सवाल उठाए कि सरकार की मंशा में खोट है और चुनावी फायदे के लिए सरकार ने अपने अंतिम बजट में इसे शामिल किया है और इसे लागू करने पर भी फिलहाल संशय है। यह भी कि सरकार यदि इसे ईमानदारी से लागू करना चाहे तो इसके लिए कम से कम 600 करोड़ रुपए की जरूरत है। प्रदेश सरकार को ऐसे तिकड़मों के बजाय रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर देना चाहिए।

पिछली जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश की कुल आबादी 68 लाख थी, जो अब बढ़कर 75 लाख के आसपास पहुंच चुकी है। इस हिसाब से प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 15 प्रतिशत युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। बेरोजगारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछली बार पक्के किए गए कर्मचारी पिछले आठ सालों से 4500 रुपए प्रतिमाह पर ठेके पर या डेलीवेज के हिसाब से काम कर रहे थे और कंडीघाट परियोजना, जिसे अब मध्य हिमालय का नाम दिया गया है, में मात्र 10 हजार से कम के वेतन पर कर्मचारी पिछले 23 सालों से काम कर रहे हैं। अभी हाल ही में पटवारियों और पंचायत सुपरवाइजर के लिए आयोजित परीक्षाओं में एमए, पीएचडी तक शिक्षित युवाओं ने हिस्सा लिया। इसमें खास यह कि यहां भी भाई-भतीजावाद के चलते सरकारी नौकरियों में भेदभाव की बात उभर कर आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा बेरोजगारी नए हिमाचल मसलन कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर एवं मंडी में दर्ज की गई है।

उद्योगों की कमी के चलते यहां के युवा दूसरे प्रदेशों में कठिन परिस्थितियों में अपना जीवनयापन कर रहे हैं। मजबूरन उन्हें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं आसपास के शहरों में छोटी-मोटी नौकरियां करके अपने परिवार को पालना पड़ता है। हिमाचल के कुछ क्षेत्रों जैसे सोलन, नालागढ़, बद्दी एवं ऊना में कुछ सीमेंट एवं दवा उद्योग लगने से कुछ युवाओं को रोजगार मिला है, लेकिन यहां भी श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन होने  से जहां युवाओं को निराशा ही मिली है, वहीं सरकार सख्ती न करके उद्यमियों को यह संदेश देने का प्रयास करती नजर आती है कि यहां मनमाने ढंग से काम करने की छूट है, लेकिन ऐसा संदेश देकर भी सरकार युवाओं से ही छल कर रही है। सवाल फिर वही कि भत्ते के झुनझुने से आखिर कब तक प्रदेश की प्रतिभा की उपेक्षा होती रहेगी?

ई-मेल : vijaysharmaht@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App