ब्रह्म देव ने जंग में जितवाए थे मंडी के राज

By: Mar 1st, 2017 12:05 am

मंडी  – अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में मंडी आने वाले देवी-देवताआें में बेहद अहम प्राचीन देवता ब्रह्म देव तुंगासी अपार शक्ति के धनी हैं। उन्होंने प्राचीन समय में कुल्लू के राजा को हराकर मंडी के राजा को जीत दिलाई थी। सदियों पहले जब कुल्लू और मंडी के राजाओं के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में ब्रह्म देव तुंगासी ने मंडी के राजा का साथ देते हुए उन्हें जीत दिलाई थी। जिस पर राजा ने ब्रह्म देव तुंगासी को नजराने के तौर बल्ह, चच्योट और थुनाग में जमीन इनाम के तौर पर दी गई थी, जिसमें बल्ह के दुगराई में 33 बीघा, चच्योट में साढ़े ग्यारह बीघा और थुनाग में साढ़े सात बीघा जमीन इनाम के तौर में दी गई थी। अब यह जमीन मुजारों में चली गई है। यही नहीं राजा ने देवता को कर वसूलने की शक्ति भी दे रखी थी। इसके गढ़ के दायरे में आने वाले ग्रामीण कर राजा को नहीं देवता को देते थे। ब्रह्म देव तुंगासी को भगवान ब्रह्मा के रूप में माना जाता है। ब्रह्म देव तुंगासी का मूल स्थान तुंगासी गढ़ है। ब्रह्म देव के पुजारी दिले राम ने बताया कि देवता पांच गढ़ों के गढ़पति हैं।

देवी महामाया साथ

ब्रह्म देव तुंगासी के साथ देवी महामाया, जिसे मां सरस्वती के रूप में पूजा जाता है, वह हमेशा देवता के साथ चलती हैं। मंडी शिवरात्रि महोत्सव में भी दोनों साथ आए हैं।

ऐसे हुई थी तुंगासी देव की उत्पत्ति

एक कहानी के अनुसार जुघांद गांव की भाटकू खानदान की गाय तुंगासी में चरने जाती थी। जब भी ग्वाला शाम को गाय वापस लाता तो वे दूध नहीं देती थी। इस पर ग्रामीणों को शक हुआ कि ग्वाला दूध पहले ही दुह लेता है। ग्रामीणों ने एक दिन पीछा किया तो वहां का नजारा देख वे हैरान रह गए। ग्रामीणों ने देखा कि एक पत्थर पर गाय अपने आप दूध दे रही है। इस पर ग्रामीणों ने उस पत्थर को तोड़ना शुरू किया तो जमीन से आवाज आई कि मत मारो मैं ब्रह्म देव तुंगासी हूं। इस पर ग्रामीणों ने खुदाई की तो वहां ब्रह्मा की मूर्ति मिली जो तीन मुखी वाली है। इस दौरान ग्रामीणों ने इसकी वहां स्थापना कर दी।


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