भत्ते के बंटवारे में न रहे रिसाव की गुंजाइश

By: Mar 23rd, 2017 12:03 am

( पिंकी रमौल  लेखिक, पावंटा साहिब, सिरमौर से हैं )

उत्तर प्रदेश सरीखे राज्यों में बेरोजगारी भत्ता योजना विफल हो चुकी है, इसलिए प्रदेश सरकार को यह विशेष ध्यान रखना होगा कि योजना का नियमन व क्रियान्वयन बेहतरीन हो। योजना के क्रियान्वयन संबंधी औपचारिकताएं भी तीव्र गति से पूरी हों, ताकि चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले योजना मूर्त रूप ले सके…

प्रदेश सरकार ने अपने 2017-18 बजट में पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र का एक मुख्य वादा पूरा करते हुए जमा दो उत्तीर्ण तथा इसके ऊपर की योग्यता वाले बेरोजगार युवाओं को 1000 रुपए मासिक भत्ता देने की घोषणा की। इसी योग्यता के विकलांग बेरोजगार युवाओं को 1500 रुपए मासिक भत्ता मिलेगा। बजट में बेरोजगारी भत्ते के लिए 150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। रोजगार कार्यालयों में जमा दो और उससे अधिक की योग्यता वाले अनुमानित डेढ़ लाख युवा पंजीकृत हैं, जो बेरोजगारी भत्ते के लिए न्यूनतम योग्यता पूरी करते हैं। हालांकि उन्हें अन्य नियम भी पूरे करने होंगे। इस योजना से लगभग 1.3 लाख युवाओं के लाभान्वित होने की संभावना है। बेरोजगारी भत्ता योजना को क्रियान्वित करने के लिए कुछ नियम बनाए जाएंगे तथा आवश्यक अधिसूचना जारी की जाएगी। इन नियमों में कुछ मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना होगा व आवश्यक निर्णय लेने होंगे। अन्य कुछ राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी भत्ते की योजना विफल हो चुकी है, इसलिए हिमाचल प्रदेश सरकार को यह विशेष ध्यान रखना होगा कि योजना का नियमन व क्रियान्वयन बेहतरीन हो। उसी स्थिति में यह योजना सफल हो सकती है। सबसे पहले तो आवेदक हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मानिक बोर्ड से बारहवीं पास होना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा संचालित एवं वित्त पोषित योजना में यह न्यायोचित होगा यदि यह योजना केवल हिमाचली मूल के युवाओं के लिए लागू की जाए। इसके लिए मूल हिमाचली प्रमाण पत्र अन्य दस्तावेजों के साथ जमा करना अनिवार्य होना चाहिए।

आवेदक का रोजगार कार्यालय में एक वर्ष पुराना पंजीयन होना अनिवार्य किया जा सकता है। आवेदक की आयु भी निर्धारित करनी होगी और इसे 20 से 35 वर्ष किया जा सकता है। दसवीं का प्रमाण पत्र, जिसमें आवेदक की उम्र दर्शाई गई हो, भी आवश्यक दस्तावेज है। यह देखना होगा कि आवेदक पहले से किसी मिलती-जुलती योजना का लाभ नहीं उठा रहा हो। जिन लोगों को कौशल विकास योजना के तहत लाभ हुआ है, उन्हें बेरोजगारी भत्ता नहीं मिलेगा, क्योंकि वे आत्मनिर्भर बनने के लिए कुशल हैं। यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि इस बीच अगर आवेदक की नौकरी लग जाती है, तो भी यह सहायता मिलनी बंद हो जाए।  यह देखना होगा कि आवेदक कोई बिजनेस न करता हो। बेरोजगारी भत्ते की कोई अधिकतम समय सीमा भी तय की जानी चाहिए। बेरोजगारी भत्ता एक व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा पांच-छह वर्ष तक मिलना चाहिए। डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत इस योजना के लिए आवेदन केवल ऑनलाइन माध्यम से आमंत्रित किए जा सकते हैं, जिसमें आवेदक बेरोजगारों को सरकारी कर्मचारियों के साथ व्यक्तिगत मुलाकात की आवश्यकता नहीं होगी। इससे भ्रष्टाचार की संभावनाएं बहुत कम हो जाएंगी। ऑनलाइन आवेदन के बाद एक समयबद्ध तरीके से आवेदन का निपटारा किया जाना सुनिश्चित करना होगा तथा इस उद्देश्य हेतु सिटीजन चार्टर विकसित किया जाना चाहिए, जैसे कुछ अन्य विभागों व योजनाओं के संबंध में किया गया है। योजना को आधार कार्ड के साथ जोड़ा जा सकता है तथा योजना का क्रियान्वयन प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत सीधा आवेदक के बैंक खाते में रकम का हस्तांतरण किया जा सकता है। इसके लिए आवेदक का बैंक खाता नंबर, बैंक का नाम आदि जानकारी आवश्यक होगी।

इससे योजना का दुरुपयोग रुकेगा तथा सही लाभार्थी तक योजना का फायदा सुनिश्चित होगा। वैसे योजना में पात्रता के लिए अधिकतम आय की शर्त भी रखी जा सकती है, परंतु इससे मुख्यतः लालफीताशाही व नौकरशाही का दबदबा बनेगा तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, जैसा अन्य अनेक योजनाओं का अनुभव रहा है। इससे अनेक पात्र लाभ से वंचित रह सकते हैं तथा आय प्रमाण पत्र बनाना बेरोजगारों के लिए एक अनावश्यक लागत होगी और सरकार व समाज को कोई समग्र लाभ प्राप्त नहीं होगा। सरकार को इस पहलू पर गंभीरता से विचार करना होगा। कुछ आर्थिक विशेषज्ञों के मत में बेरोजगारी भत्ता देना व्यावहारिक नहीं है और इसका सीधा असर विकास पर पडे़गा तथा प्रदेश की वित्तीय स्थिति डगमगा जाएगी। यह योजना का केवल एक पहलू है, जिसमें इस योजना के लाभ की चर्चा तक नहीं की गई। योजना के निष्पक्ष लागत-लाभ विश्लेषण में मुख्यतः शुद्ध सकारात्मक लाभ परिलक्षित होते हैं। रोजगार कार्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों की कमी योजना के सफल व कुशल क्रियान्वयन में आड़े आ सकती है, परंतु सरकार इस अवसर का उचित उपयोग कर सरकारी विभागों का पुनर्गठन कर अधिशेष कर्मचारियों की तैनाती रोजगार कार्यालयों में कर सकती है। इसके साथ ही रोजगार कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण कर सरकार डिजिटल इंडिया को साकार कर सकती है। इसके लिए एक अलग वेबसाइट तैयार करने की भी आवश्यकता है। यह योजना बेरोजगार युवाओं को आर्थिक तौर पर समर्थता प्रदान करेगी, जिससे उन्हें रोजगार की तलाश करने में सहायता प्राप्त हो व हमारा प्रदेश डेमोग्राफिक डिविडेंड से लाभान्वित हो सके। परंतु योजना के क्रियान्वयन संबंधी औपचारिकताएं व कार्य तीव्र गति से करने की आवश्यकता है, ताकि चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले योजना मूर्त रूप ले सके और बेरोजगार युवाओं के साथ छलावा न हो।

ई-मेल : tse.paonta@gmail.com


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