रेस्ट्रिक्टड टेस्ट करवाए जा रहे आउटसोर्स

By: Mar 1st, 2017 12:01 am

मोटी कमाई के चक्कर में प्राइवेट लैब संचालकों ने यूं चलाया गोरखधंधा

टीएमसी— अस्पतालों के आसपास खोली गई प्राइवेट लैब की रिपोर्टों में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। कुछ लैब वाले तो सैंपल लेकर बिना टेस्ट किए ही रिपोर्ट बनाकर मरीज के हाथों में थमा देते हैं। यही नहीं यह भी खुलासा हुआ है कि ऐसे टेस्ट की भी आउटसोर्सिंग की जाती है, जिन्हें बाहर भेजा ही नहीं जा सकता। क्योंकि उन टेस्ट  के लिए एक निर्धारित तापमान और समय होता है।  इनमें से पीटीएच (पैराथाइराट हार्मोन इंटेक्ट) और विटामिन बी-12 जैसे चार-पांच ऐसे टेस्ट  हैं, जिनकी आउटसोर्सिंग नहीं की जा सकती। मरीज का ब्लड सैंपल लेने के बाद इन्हें 15 से 30 डिग्री के तापमान में रखना होता है। इन टेस्टों को दो से तीन घंटे के बीच करना होता है, लेकिन कुछ लैब वाले अधिक कमाई के चक्कर में इन टेस्टों को आउटसोर्स कर देते हैं। सूत्र बताते हैं कि ये टेस्ट दिल्ली और गुरुग्राम तक भेजे जाते हैं। जहां तो तापमान ही 40 से 50 डिग्री तक चला जाता है। वहां से रिपोर्ट लाकर मरीज को थमा दी जाती है। स्वास्थ्य महकमे के पास भी इस संदर्भ में बहुत सारी शिकायतें आ रही हैं। खुलासा यह भी हुआ है कि जिला कांगड़ा के बहुत सारे स्वास्थ्य केंद्रों के आसपास जो लैब खोली गई हैं, उनमें से बहुत सारी तो रजिस्टर ही नहीं हैं। यही नहीं कइयों में एमबीबीएस तो दूर की बात लैब टेक्निशियन भी नहीं है। जो यहां-वहां कुछ दिन लैब में काम करके आए हैं वे उन लैब को चला रहे हैं, जिनके पास टेस्ट करने की पूरी मशीनरी भी नहीं है। वे कम्प्यूटर से रिपोर्ट निकालकर मरीज को दे देते हैं। बताया गया है कि ऐसे कई लैब वाले दिन में 50 से 60 हजार रुपए की सेल कर लेते हैं।  फर्जीबाड़े के इस खेल में कुछ डाक्टरों की मिलीभगत होने की भी बात कही जा रही रही है। क्योंकि यह सारा खेल पैसों के चक्कर में खेला जा रहा है। डाक्टर सब जानते हुए भी खामोश हैं।


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