लिथोट्रिप्सी मशीन चार माह से खराब
आईजीएमसी में दिक्कतों से मरीज परेशान, निजी लैब में इलाज महंगा
शिमला — आईजीएमसी शिमला में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए करोड़ों की मशीनें इंस्टाल की गईं, लेकिन जल्द ही ये मशीनें जवाब दे गई हैं। मशीनें होने के बावजूद मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा और न चाहते हुए भी लोगों को निजी लैब में जेब ढीली करनी पड़ रही है। आईजीएमसी में गुर्दे की पथरी के लेजर तकनीक से इलाज करवाने के लिए नवंबर, 2015 में लिथोट्रिप्सी मशीन लगाई गई। मशीन करीब तीन करोड़ की लागत से इंस्टाल की गई थी, लेकिन मशीन में कुछ समय बाद ही खराबी आने लगी। दिसंबर, 2016 में ही मशीन के जेनरेटर में खराबी आ गई। इसके कारण मशीन काफी समय से बंद पड़ी है। जेनरेटर के अंदर से जो सॉफ्टवेब निकलती है, उसमें कुछ खराबी है। इसे दुरुस्त करवाने के लिए करीब 17 लाख का खर्चा आना है। हालांकि अस्पताल प्रशासन की ओर से सप्लायर कंपनी को पुर्जा लगाने के लिए कहा गया था, लेकिन अभी भी मशीन खराब ही पड़ी है। इस मशीन से गुर्दे की पथरी का इलाज किया जाता है। इसके लिए किसी बड़े आपरेशन की जरूरत नहीं होती, बल्कि मशीन के जरिए पथरी को निकाला जाता है। इसमें एक ही दिन में मरीज को घर भेजा जा सकता है। जब मशीन इंस्टाल की गई थी तो काफी लोगों ने इस मशीन से आपरेशन करवाए, लेकिन अब यह काफी समय से बंद पड़ी है। इसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को निजी लैब में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि मशीन को ठीक कराने के लिए पुर्जा मंगवाया गया है। इसके आते ही मशीन ठीक हो जाएगी और मरीजों के आपरेशन शुरू कर दिए जाएंगे।
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