शिमला जितना ही पुराना है अन्नाडेल का इतिहास

By: Mar 1st, 2017 12:05 am

अन्नाडेल मैदान 122 बीघा में फैला है और दूसरे विश्व युद्ध के समय (1941 ई.) से सेना के कब्जे में है। गौरवमयी देवदारों से घिरे हुए जंगल के इस टेढ़े-मेढ़े खुले हरित मैदान का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना कि स्वयं शिमला का…

अन्नाडेल

चित्ताकर्षक और प्राकृतिक वैभव से युक्त ‘डेल’ जो वर्षों से लोगों को लुभाता चला आया है और मनोरंजन स्थल रहा है, अचानक ही 2012 ई. में हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार और सेना के मध्य झगड़े का ‘अन्नाडेल’ बन गया। दोनों ही इस के अधिकार को लेकर असहमति के तर्क-वितर्क में ग्रस्त हो गए। 1617 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह मैदान 122 बीघा में फैला है और दूसरे विश्व युद्ध के समय(1941 ई.)से सेना के कब्जे में है। गौरवमयी देवदारों से घिरे हुए जंगल के इस टेढ़े-मेढ़े खुले हरित मैदान का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना कि स्वयं शिमला का। प्रारंभ में यह खेलकूद का स्थान था, जहां ब्रिटिश अधिकारी और उनके परिवार पिकनिक, घास के मैदान में पार्टियों, फैंसी ड्रेस शो और औपचारिक मिलन का आनंद लेते थे। इसके बाद अवकाश के दिनों में जिमखाना, खेलों तथा अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक त्यौहारों का एक नियमित स्थान बन गया। अन्नाडेल का पहला लेखबद्ध इतिहास ‘फन फेयर’ से जुड़ा हुआ है, जिसका आयोजन सपाटू में स्थानीय लड़कियों के लिए स्कूल खोलने हेतु चंदा इकट्ठा करने के लिए सितंबर, 1833 ई. में किया गया था।

बजौरा

यह कुल्लू शहर से 15 किलोमीटर पहले आता है। यह बशेश्वर महादेव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे 8वीं सदी के मध्य में बनाया गया था।

गुरुद्वारा मंजी साहिब

गुरुद्वारा मंजी साहिब को ‘ डेरा बाबा बड़भाग सिंह’ के नाम से भी जाना जाता है, जो ऊना-हमीरपुर मार्ग पर लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। गुरुद्वारा में अधिकतर पंजाब से लाखों श्रद्धालु आते हैं। जिला प्रशासन के एक अनुमान के अनुसार लगभग 20 लाख यात्री गुरुद्वारा में प्रतिवर्ष आते हैं। अधिक मात्रा में यात्री होला मोहल्ला और बैसाखी पर आते हैं। मेले के दिनों में नेहरी और मैढ़ी, जहां गुरुद्वारा स्थित है, जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। 29 मार्च, 2011 को जिला प्रशासन ने गुरुद्वारा को  सरकार के नियंत्रण के अधीन कर दिया।

गिरि नगर

यह धौला कुआं से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर जिला सिरमौर में स्थित है। रेणुकाजी के निकट सतौन से 6 किलोमीटर सुरंग द्वारा गिरि नदी के जल को मोड़कर 60 मेगावाट क्षमता का एक विद्युत गृह बनाया गया है। यह परियोजना 1979 ई. में शुरू हुई, जिसका उद्देश्य सिंचाई और बिजली है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App