संयुक्त पाठ्यक्रम विकास परियोजना को 50 हजार पाउंड

By: Mar 12th, 2017 12:05 am

सोलन   – शूलिनी विश्वविद्यालय लंदन की प्रसिद्ध रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग व इंग्लैंड क्रैन फिल्ड विश्वविद्यालय के संयुक्त पाठ्यक्रम विकास परियोजना को फडिंग देगा। इसके अलावा दो साल के इस परियोजना के लिए रॉयल एकेडमी द्वारा  50,000 पाउंड की राशि प्रदान की जा रही है। शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पीके खोसला ने बताया कि  इस प्रोजेक्ट के माध्यम से हासिल किए गए ज्ञान को अन्य शिक्षण संस्थानों के साथ भी साझा किया जाएगा। इस परियोजना से विश्वविद्यालयों के भीतर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम और शैक्षिक अभ्यास में औद्योगिक इनपुट को बढ़ने की उम्मीद की जा रही है, ताकि व्यावहारिक इंजीनियरिंग कौशल प्रदान करने और छात्रों के रोजगार पाने की क्षमता में सुधार हो सके। इस कोर्स की सामग्री को सिखाने के लिए इंजीनियरिंग शिक्षकों की क्षमता में सुधार आएगा और भारत व ब्रिटेन के विश्वविद्यालय और उद्योग संस्थानों के बीच अनुसंधान व ज्ञान-सहयोग मजबूत होगा। प्रत्येक वर्ष रॉयल अकादमी ऑफ इंजीनियरिंग, पूरे विश्व के शोधकर्ताओं को पुरस्कार देती है और दुनिया भर के उम्मीदवारों को अपने विभिन्न परियोजनाओं के लिए आमंत्रित करती है। उनका उद्देश्य इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर से प्रतिभाशाली इंजीनियरों और शोधकर्ताओं, प्रौद्योगिकी, ज्ञान और अनुभव को एक साथ लाना है। यह प्रोजेक्ट तीन क्षेत्रों पर केंद्रित होगा, सबसे पहले, नैनोमैटिरियल्स और इंजीनियरिंग में अत्याधुनिक अनुसंधान यूके की क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग छात्रों के लिए एक बूस्टर के रूप में कार्य करेगा और कई उद्योगों में नौकरी के अवसर खोलेगा। अंत में परियोजना का तीसरा हिस्सा अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ इस परियोजना के माध्यम से प्राप्त ज्ञान और विशेषज्ञता का प्रसार करना होगा। इस प्रोजेक्ट में किए गए कार्य से अनुसंधान, नीति निर्माण, शिक्षा और उद्यमशीलता, और उन सभी गतिविधियों को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो इंजीनियरिंग को समृद्ध बनाने में उपयोगी है। शूलिनी के स्कूल ऑफ इनोमिक्स एंड मैटेरियल्स साइंस में प्रोफेसर डा. अतुल ठाकुर, उन्नत निर्माण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में औद्योगिक रूप से केंद्रित पाठ्यक्रम विकसित करने के उद्देश्य से इस परियोजना के लिए शोधकर्ताओं की एक टीम का नेतृत्व करेंगे। पाठ्यक्रम की डिजाइनिंग में डा. ठाकुर और उनकी टीम, यूके के विभिन्न विश्वविद्यालयों का दौरा करेगें। इस प्रोजेक्ट के दौरान शूलिनी और क्रैन फील्ड के बीच में एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा सकते है। प्रो. पीके  खोसला ने कहा  कि यह गर्त की बात है कि शूलिनी को इस प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए चुना गया है। यह हमारे संस्थान में किए जा रहे शोध का प्रमाण है। यह उल्लेखनीय है कि शूलिनी विश्वविद्यालय नैनोटैक्नोलॉजी में उत्कृष्ट काम कर रहा है। इस क्षेत्र में अनुसंधान को और बढ़ावा देने के लिए पिछले साल विवि में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने हिमालय सेंटर ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी का उद्घाटन किया था।

 

 


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