संस्कृति और धरोहरों की जानकारी जरूरी

By: Mar 15th, 2017 12:07 am

संस्कृति और धरोहरों की जानकारी जरूरीडा. अरुण के सिंह प्रोफेसर, इतिहास विभाग, हिमाचल प्रदेश विवि, शिमला

आर्कियोलॉजी में करियर संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने डा. अरुण के सिंह से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

विस्तार से आर्कियोलॉजी का क्या अर्थ है?

आर्कियोलॉजी एक रोमांच से भरा करियर है। पृथ्वी के गर्भ में छिपी प्राचीनकालीन धरोहरों को सहेजने और उनकी मदद से अतीत की कडि़यों को जोड़ने का ज्ञान इसी विषय के तहत आता है। पुरातत्व प्रबंधन द्वारा पुरातात्विक स्थलों की खुदाई का कार्य संचालित किया जाता है तथा इस दौरान मिलने वाली वस्तुओं को संरक्षित कर उनकी उपयोगिता का निर्धारण किया जाता है। इनकी सहायता से घटनाओं के समय और क्रम के बारे में जरूरी निष्कर्ष निकाले जाते हैं। यह पूरी कवायद अपने आपमें बड़ी रोमांचपूर्ण होती है। इस तरह प्राप्त जानकारियां आगे चलकर ऐतिहासिक साक्ष्य बनती हैं, जो सांख्य दुर्लभ पांडुलिपियों, प्राचीन सिक्कों,  मंदिरों और मूर्तियों आदि के रूप में सामने आते हैं। इनसे यह जानने में मदद मिलती है कि मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि गुजरी हुई सभ्यताओं का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक ढांचा कैसा था और समय बीतने के साथ इसमें क्या बदलाव आए। उसका श्रेय इतिहास और इससे संबंधित ज्ञान के क्षेत्रों जैसे आर्कियोलॉजी को जाता है।

आर्कियोलॉजी में वर्तमान दौर में करियर की क्या संभावनाएं है?

आर्कियोलॉजी में अगर वर्तमान दौर में करियर की संभावनाओं की बात की जाए, तो इसमें अवसरों की भरमार है। रोजगार के विकल्प आर्कियोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली और राज्यों में स्थित इसके क्षेत्रीय केंद्र, विभिन्न संग्राहलय, कला दीर्घाएं, एनजीओ और विश्वविद्यालय, विदेश मंत्रालय की हिस्टोरिकल डिवीजन, इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च, शिक्षा मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, फिल्म मंत्रालय,भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार आदि जगहों पर इस क्षेत्र में रोजगार के अच्छे अवसर हैं। सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र में संभावनाओं के अलावा विदेशों में भी काफी स्कोप हैं। इसके साथ कालेजों, विश्वविद्यालयों में भी शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे सकते हैं।

इस फील्ड में करियर के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता क्या होती है?

आर्कियोलॉजी की फील्ड में आने के लिए छात्र जमा दो के स्तर पर हिस्ट्री विषय पढ़ा होना चाहिए। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों में आर्कियोलॉजी की पढ़ाई इतिहास विभाग के अंतर्गत  ही होती है। विशेषकर परास्नातक स्तर पर ही इस विषय की पढ़ाई होती है। यानी पुरातत्त्वविद बनने के लिए स्नातक की डिग्री का होना आवश्यक है। अगर स्नातक इतिहास, समाजशास्त्र और मानव विज्ञान से किया है, तो परास्नातक स्तर पर पुरातत्त्व विज्ञान को समझने में आसानी होती है। इसके साथ ही साइंस विषय से जुड़े छात्र भी आर्कियोलॉजी में प्रवेश कर सकते है। आर्कियोलॉजी में एमए के बाद छात्र डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते है।

आर्कियोलॉजी में करियर बनाने के लिए पढ़ाई के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

आर्कियोलॉजी में करियर बनाने के लिए इस विषय की पढ़ाई कर रहे छात्रों को अपने प्रदेश के सुनहरे इतिहास और संस्कृति के प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है। आर्कियोलॉजी में छात्र अपना करियर तभी बना सकता है अगर वह अपने देश और प्रदेश के इतिहास में रुचि रखता हो।

आरंभिक आय इस फील्ड में कितनी होती है?

आर्कियोलॉजी में जहां तक बात की जाए वेतन की, तो यह क्षेत्र और पद पर निर्भर करता है। अगर आप राज्य के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में और लेक्चररशिप में जाते हैं, तो इस फील्ड में वेतन 25 से 50 हजार या इससे अधिक भी हो सकता है।

जो युवा इस क्षेत्र में आना चाह रहे हैं, उनके लिए क्या प्रेरणा संदेश है?

मेरा संदेश यही है कि इस फील्ड में वही व्यक्ति आए, जिसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खोजों में रुचि है। जुनूनी लोग ही इस करियर में पदार्पण करें,क्योंकि इस फील्ड में कई घंटों से लेकर कई दिनों तक खदानों और ऊबड़-खाबड़ क्षेत्रों में टैंट लगाकर रहना पड़ता है। यानी प्रतिकूल परिस्थितियों में रह सकने वाला ही इस करियर में कामयाब हो सकता है।

-भावना शर्मा, शिमला   


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