सरकारी गाडि़यों में लाल-नीली बत्ती क्यों
आपने अकसर देखा होगा कि कोई एंबुलेंस खास तरीके का सायरन बजाती आती है और लोग उसे रास्ता देते हैं। इसे आपातकालीन सेवा संकेत कहते हैं। एंबुलेंस की छत पर रंगीन बत्तियां भी लगी रहती हैं। इसी तरह की व्यवस्था फायर ब्रिगेड के साथ भी होती है, पुलिस की गश्ती गाडि़यों पर भी। इसका उद्देश्य ज़रूरी काम पर जा रहे लोगों को पहचानना और मदद करना है। महत्त्वपूर्ण सरकारी अधिकारियों, फौजी और नागरिक पदाधिकारियों के लिए भी ज़रूरत के अनुसार ऐसी व्यवस्थाएं की जाती हैं।
भारत में सेंट्रल मोटर ह्वीकल्स रूल्स 1989 के नियम के अंतर्गत गाडि़यों पर बत्ती लगाने के जो निर्देश दिए हैं उनके अंतर्गत लाल, नीली और पीली बत्तियां गाडि़यों में लगाई जाती हैं। ये केंद्रीय निर्देश हैं। इनके अलावा राज्य सरकारों के निर्देश भी होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2013 में सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को अपने नियम युक्तिसंगत बनाने का निर्देश दिया था। इन नियमों में आवश्यकतानुसार बदलाव होता रहता है।
हॉल मार्क क्या होता है?
हॉल मार्क बहुमूल्य धातुओं जैसे सोनेए चांदी और प्लेटिनम की गुणवत्ता को व्यक्त करता है। सोने की हॉलमार्किंग का काम भारतीय मानक ब्यूरो ने निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सौंपा है। जिन ज़ेवरों पर यह लगा होता है उन्हें ख़रीदते हुए ग्राहक को भरोसा रहता है कि सोना ठीक है।
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