सात साल हो गए, अब तो भर दो पानी
पंचरुखी — साहब! सात वर्ष का हो गया हूं। अब तो पानी से भर दो, ताकि हजारों लोगों की प्यास बुझा सकूं। शायद यही कह रहा गावं रजोट में बना पेयजल के लिए पानी का टैंक। विभाग शायद इस टैंक में पानी डालना भूल गया है। इसे विभाग की लापरवाही कहें या सरकार के उदासीन रवैये को जिम्मेदार ठहराया जाए। सच्चाई तो यही है कि वर्षों से रजोट गांव में बना पानी का टैंक सफेद हाथी बनकर लोगों को मुह चिढ़ा रहा है। शायद लोगों की चुप्पी के चलते विभाग भी खामोश बैठा है, जबकि पानी का यह टैंक भी खराब होता जा रहा है व सरकार का पैसा मिट्टी में मिल रहा है। लोगों का कहना है कि या तो टैंक को चालू करो या फिर इसे यहां से हटवा दिया जाए। इस विषय में कनिष्ठ अभियंता देशबंधु का कहना था कि पानी की कमी के चलते पानी टैंक में नहीं डाला गया है। अब इसके लिए अन्य स्रोत से पानी की पाइपें बिछाई जा रही हैं, जिसका टेंडर हो गया है। बताते चलें कि सरकार ने हर मोड़ पर हैंडपंप लगाकर भूमि को सूखा बना दिया है, जिसका खमियाजा आने वाले समय में लोगों को भुगतना पड़ सकता है। एक और सरकार कहती है कि हैंडपंपों की दूरी कम से कम 300 मीटर हो, पर धरातल में ऐसा नहीं है। हर 50 मीटर में हैंडपंप लगाए गए हैं। नेतागण चंद वोटों के लिए प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं। साथ ही सरकार के करोड़ों रुपए भी मिट्टी में मिला रहे हैं। वजह यह है कि हर तीसरा हैंडपंप खराब है।
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