सेब को नहीं जकड़ पाएगा गंभीर रोग

By: Mar 26th, 2017 12:01 am

प्रदेश को केंद्रीय कीटनाशी बोर्ड से मिली क्लोरोपिकरिन रसायन के आयात की मंजूरी

शिमला – प्रदेश के बागबानों की सेब की फसल को अब गंभीर रोग नहीं जकड़ पाएंगे। अपनी फसल को रोगों से बचाने के लिए बागबान क्लोरोपिकरिन रसायन का प्रयोग अपने बागीचों में कर सकेंगे। प्रदेश के बागबानों के हित में यह कदम प्रदेश सरकार द्वारा उठाया गया है। सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के केंद्रीय कीटनाशी बोर्ड से क्लोरोपिकरिन रसायन को मशीनरी व उपकरणों के साथ आयात करने की मंजूरी प्राप्त कर ली है। मंजूरी के बाद हिमाचल प्रदेश एचपीएमसी द्वारा शीघ्र ही ट्रिनिटी मैन्युफेक्चरिंग कंपनी से इसका आयात किया जाएगा। इसके बाद इसे  उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी को परीक्षण हेतु उपलब्ध करवाया जाएगा। क्लोरोपिकरिन रसायन का प्रयोग सेब के बागीचों में पुनः रोपण के दौरान गंभीर बीमारियों को रोकने के लिए किया जाता है, जो मिट्टी की गुणवत्ता व प्रभावशीलता के उपचार के लिए सहायक है। इससे अन्य फल, सब्जियों तथा पुष्पोत्पादन को भी बचाया जा सकता है। ये रसायन पोलीहाउस में फसल चक्र के मध्य मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने में प्रभावी सिद्ध होते हैं। बागबानी विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि विश्व में उपयोग किया जाना वाला क्लोरोपिकरिन स्पेस्फिक एप्पल रेपलेंट डिजीज के खिलाफ लड़ने वाला प्रभावशाली उत्कृष्ट रसायन है। यह रसायन भारत में पंजीकृत नहीं है, इसलिए मिट्टी उपचार के लिए इसका आयात या उत्पादन नहीं किया सकता। रसायन की महत्ता को ध्यान में रखते हुए महत्त्वाकांक्षी 1134 करोड़ रुपए की विश्व बैंक पोषित बागबानी विकास योजना के अंतर्गत देश में रसायन के पंजीकरण के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं।

शिमला, सोलन, कुल्लू में होगा प्रयोग

केंद्र सरकार द्वारा क्लोरोपिकरिन रसायन के आयात की स्वीकृति देने के पश्चात अब वर्तमान वर्ष के दौरान शिमला, सोलन तथा कुल्लू जिलों में बहुस्थानीय प्रयोग करवाए जाएंगे। इस निर्णय से भारत में इस रसायन के पंजीकरण का मार्ग भी प्रशस्त होगा।


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