स्पष्ट डोज के साथ लिखें जेनेरिक दवा

By: Mar 27th, 2017 12:01 am

केंद्र से गाइडलाइन जारी; दवा कब और कितनी बार खानी है, सब लिखना होगा

शिमला —  मरीजों के लिए यह खबर काफी महत्त्वपूर्ण है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और केंद्र की ओर से राज्य के डाक्टरों के लिए एक बार फिर गाइडलाइन जारी करते हुए उन्हें दवा की पर्ची (प्रेस्क्रिप्शन) कैपिटल लैटर्स में लिखने के लिए कहा है। यही नहीं, सभी डाक्टरों को जेनेरिक दवाइयां लिखने के ही निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि केंद्र की ओर से जारी निर्देशों में कहा है कि डाक्टरों को जेनेरिक दवा को बढ़ाना देना चाहिए। यह लोगों के हित में है। निर्देश में यह भी कहा गया है कि मरीजों के लिए डोज स्पष्ट अक्षरों में लिखा जाए। उन्हें दिन में दवा कितनी बार लेनी है और कब लेनी है, यह भी स्पष्ट हो। हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से पहले ही डाक्टरों को इस तरह के निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके अलावा डाक्टरों को पर्ची पर साइन की जगह अपना पूरा नाम लिखने को भी कहा गया है, लेकिन अधिकतर डाक्टर इन निर्देशों का पालन नहीं करते। इसे देखते हुए एक बार फिर से केंद्र की ओर से इस बारे में सख्त गाइडलाइन हिमाचल समेत सभी राज्यों को जारी की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार जेनेरिक व ब्रांडेड दवाओं की कीमत में पांच से 10 गुना का अंतर होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की सख्ती के कारण अभी केवल सरकारी अस्पतालों के डाक्टर ही मरीजों के लिए पर्ची में जेनेरिक दवाएं लिख रहे हैं। इसका अनुपात भी 60ः40 है। दूसरी ओर निजी अस्पतालों के डाक्टर जेनेरिक के बजाय ब्रांडेड दवाएं ही लिखते हैं। इसके कारण लोगों को निजी अस्पतालों में इलाज से लेकर दवाइयों का खर्ज ज्यादा है। सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवाएं खरीदी जाती हैं। लोकल पर्चेज में अस्पताल जरूरत के हिसाब से ही ब्रांडेड दवाइयां खरीद रहे हैं।  केंद्र की ओर से जारी  निर्देशों में कहा है कि डाक्टरों को जेनेरिक दवा को बढ़ाना देना चाहिए। यह लोगों के हित में है।

इसलिए है जरूरी

निर्देशों में कहा गया है कि मरीजों के लिए डोज स्पष्ट अक्षरों में लिखी जाए। अस्पष्ट लिखावट के कारण मेडिकल स्टोर्स के कर्मचारी कई बार गलत दवा भी दे देते हैं, जिससे नुकसान की शिकायतें सामने आई हैं।


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