हिमाचल के वैज्ञानिकों की सराहना

By: Mar 31st, 2017 12:07 am

newsभुंतर – प्रदेश में उगने वाली राजमाह, माह, लाल चावल जैसी पारंपरिक फसलों के नवीन तकनीकों से संवर्द्धन के लिए हिमाचली वैज्ञानिकों के प्रयासों को वाहवाही मिली है। एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका में 300 से अधिक चावल की किस्मों को विकसित कर चावल की खेती में हरित क्रांति लाने और पद्मश्री पुरस्कार विजेता कृषि वैज्ञानिक डा. गुरदेव सिंह खुश ने पौष्टिक पारंपरिक और नजरअंदाज की जा चुकी फसलों के संवर्द्धन में भूमिका की सराहना करते हुए इन फसलों के प्रजनन की वकालत की है। साथ ही उन्होंने कीट नियंत्रण के दिशा में नए कदम उठाने पर जोर दिया है। इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (इरी) के पूर्व प्रधान प्लांट ब्रीडर और प्रमुख डा. जीएस खुश प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान कार्यों को जानने और इसमें सुधार को लेकर विभिन्न जिलों के दौरे पर निकले हैं। इस कड़ी में गुरुवार को उन्होंने कुल्लू जिला के कृषि-बागबानी वैज्ञानिकों से जिला में इस क्षेत्र में किए जा रहे अनुसंधान के बारे में जानकारी ली साथ ही वैज्ञानिकों को अहम टिप्स भी दिए। कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने वैज्ञानिकों से रू-ब-रू होते कहा कि गरीबी को दूर करने में वैज्ञानिकों के अनुसंधान की भूमिका काफी अहम हैं और इसके लिए अभी बहुत कार्य करना शेष है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पारंपरिक फसलों के संवर्द्धन में बेहतर प्रयास हो रहे हैं, लेकिन इन फसलों के प्रजनन पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो फसलें उपेक्षित व नजरअंदाज हो चुकी हैं, उनमें पौष्टिक तत्त्वों की भरमार है और इनका संवर्द्धन जरूरी है। उन्होंने कीटों और रोगों को फसलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए इसके नियंत्रण के लिए विशेष पहल की बात कही। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कुल्लू सहित प्रदेश के मध्यम और ऊंचाई वाले इलाकों में उगाई जाने वाली राजमाह, माह, चावल, गेहूं सहित अन्य फसलों की जानकारी ली। कृषि विज्ञान केंद्र और पहाड़ी कृषि अनुसंधान केंद्र बजौरा के वैज्ञानिकों ने उक्त केंद्र के अलावा मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में किए जा रहे अनुसंधान कार्य के बारे में बताया। इस मौके पर केवी के प्रभारी डा. केसी शर्मा, पहाड़ी कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डा. डीआर ठाकुर सहित अन्य वैज्ञानिकों ने भाग लेते हुए संबंधित क्षेत्रों में किए जा रहे अनुसंधान का ब्यौरा रखा।

दुनिया में नाम चमका चुके हैं डा. खुश

मूलत: पंजाब निवासी डा. जीएस खुश दुनिया भर में चावल की खेती में अभूतपूर्व योगदान के लिए देश का नाम रोशन कर चुके हैं । विश्व खाद्य सुरक्षा में उनकी भूमिका के लिए उन्हें विश्व खाद्य पुरस्कार (1987), रैंक पुरस्कार (1998), वौल्फ पुरस्कार (2000), पद्मश्री पुरस्कार (2000), गोल्डन सकिल पुरस्कार (2007) और महाथीन साइंस पुरस्कार (2009) के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App