90 दिन काम पर ही मिलेगा लाभ

By: Mar 10th, 2017 12:01 am

केंद्र सरकार ने श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण के लिए मनरेगा में बढ़ाई सीमा

मंडी— मनरेगा के तहत काम कर रहे मजदूरों को अब राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के लाभ आसानी से नहीं मिल सकेंगे। बोर्ड द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ लेने के लिए निर्धारित शर्तों में केंद्र सरकार ने बदलाव कर दिया है। इसके तहत अब मनरेगा में 90 दिन का काम पूरा करने वाले मजदूरों को ही राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण मिलेगा। इससे पहले 50 दिन का काम करने वाले श्रमिकों का भी इस बोर्ड में पंजीकरण हो जाता था। इससे उन्हें कई तरह के लाभ मिलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। इसका असर मनरेगा में काम कर रहे हजारों मजदूरों पर पडे़गा। बच्चों की पढ़ाई के लिए मिलने वाली वार्षिक सहायता राशि, शादी के लिए सहायता राशि, बीमारी के इलाज के लिए, दुर्घटना व मृत्यु होने पर सहायता तथा बिजली के चूल्हे, साइकिलें, सोलरलैंप व वाशिंग मशीनों के रूप में मिलने वाली सहायता राशि अब मनरेगा में 90 दिन का काम पूरा करने के बाद ही मिलेगी। उधर, मजदूर संगठन सीटू और हिमाचल किसान सभा ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा मजदूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड की सहायता के लिए नई शर्तों का विरोध किया है। सीटू के जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह और हिमाचल किसान सभा के जिला सचिव मुनीष शर्मा ने बताया कि मनरेगा मजदूरों के राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से पंजीकृत करने और उनकी विभिन्न प्रकार की सहायता लेने के लिए एक वर्ष में 50 दिन का कार्य करने की शर्त 2014 से लागू है। अब केंद्र सरकार ने इसे 90 दिन कर दिया है, जो केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा मजदूरों को बोर्ड के लाभों से वंचित करने की दिशा में लिया गया फैसला है। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश व पूरे देश में मनरेगा में वर्तमान में औसतन पच्चास-साठ दिन का काम एक वर्ष में मिलता है, जबकि कानूनन यह सौ दिन का मिलना चाहिए। सीटू के जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की इन नई शर्तों का विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध में मंडी जिला में मनरेगा मजदूरों को जागरूक और संगठित करेंगे और बजट सत्र के बाद 30 मई को राजधानी शिमला में विशाल प्रदर्शन करेंगे।


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