आतंक के खिलाफ सहयोग बढ़ाएंगे भारत-आस्ट्रेलिया

By: Apr 11th, 2017 12:06 am

NEWSनई दिल्ली— भारत ने आस्ट्रेलिया के साथ अपनी मजबूत और जीवंत रणनीतिक साझेदारी को न केवल दोनों देशों के समाज कल्याण, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा, शांति एवं स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण बताया और आतंकवाद एवं सीमापार अपराधों से मुकाबले में सहयोग बढ़ाने सहित छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां हैदराबाद हाउस में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ शिखर बैठक में ये फैसले लिए। बैठक के बाद दोनों देशों ने जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए, उनमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और सीमापार संगठित अपराध से मुकाबले में सहयोग, नागर विमानन सुरक्षा में सहयोग को प्रोत्साहन एवं विकास, पर्यावरण, जलवायु एवं वन्यजीवन के क्षेत्र में सहयोग, खेलों में सहयोग, स्वास्थ्य एवं औषधि क्षेत्र में सहयोग तथा पृथ्वी की निगरानी एवं उपग्रह संचालन के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जिओसाइंस आस्ट्रेलिया के बीच सहयोग प्रारंभ करने की व्यवस्था के बारे में करार शामिल हैं। श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि बैठक में दोनों नेताओं ने भारत-आस्ट्रेलिया संबंधों का जायजा लिया और समग्र आर्थिक सहयोग समझौते के लिए बातचीत में प्रगति को लेकर अनेक फैसले लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि भारत प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता पर ही हमारा भविष्य निर्भर है। इसलिए हम एक सुरक्षित एवं नियमों पर चलने वाले भारत प्रशांत क्षेत्र की जरूरत पर सहमति व्यक्त करते हैं। हम यह भी समझते हैं कि इस वैश्वीकरण के दौर में आतंकवाद एवं साइबर सुरक्षा के लिए चुनौतियां सीमाओं से परे समूचे क्षेत्र में विद्यमान हैं। अतः इनके मुकाबले के लिए वैश्विक रणनीति एवं समाधान खोजे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्री टर्नबुल की क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों को लेकर दृष्टि ने हमारे मुद्दों को लेकर हमारे सहयोग में नए आयाम जोड़ें हैं। सुरक्षा एवं प्रतिरक्षा के क्षेत्र में हमारा सहयोग नई ऊंचाइयों तक पहुंचा है। आतंकवाद निरोधक और सीमापार अपराधों को लेकर हमारे द्विपक्षीय इंतजाम अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। हमें इस बात की बहुत खुशी है कि इस यात्रा के दौरान हमने सुरक्षा सहयोग पर एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। हम इस बात पर सहमत है कि क्षेत्रीय शांति समृद्धि एवं संतुलन के लिए सशक्त क्षेत्रीय संस्थान जरूरी हैं।


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