आशियाने की ख्वाहिश ने खड़ा कर दिया कंकरीट का पहाड़

By: Apr 27th, 2017 12:10 am

हिल्स क्वीन धीरे-धीरे खोती जा रही अपनी असली पहचान, बढ़ती आबादी ने निचोड़ डाली सीमित सुविधाएं

NEWSशिमला— कभी कुछ हजार लोगों के लिए बसाया गया शिमला आज लाखों लोगों का ठिकाना बन चुका है, जहां कभी सुकून मिलता था, वहां अब जलालत महसूस होती है। यहां की भागदौड़ भरी जिंदगी ने आम आदमी का चैन छीन लिया है। एक होड़ लगी है कि चलो शिमला में मकान बना लें। राजधानी में मकान बनाकर रहने की होड़ कर्मचारियों में है साथ ही ऊपरी शिमला में रहने वाले लोगों में,जो चाहते हैं कि शिमला में रहकर उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करें। इतनी बड़ी आबादी के लिए यहां पर सुविधाएं अब नाममात्र की हैं क्योंकि जिस गति से यहां पर कंकरीट का जंगल खड़ा हुआ उस गति से आधारभूत सुविधाएं नहीं जुट पाईं। यही कारण है कि शिमला न केवल पानी के लिए तरसता है बल्कि उसके सामने कई और ऐसी परेशानी खड़ी हैं, जिसका हल नहीं निकल पा रहा। प्रशासन यहां पर सभी मूलभूत सुविधाएं देने में पूरी तरह से समर्थ नहीं है।

दूसरे विभागीय कर्मी भी शामिल

राजधानी में बिजली बोर्ड, आईपीएच विभाग, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने भी बड़े पैमाने पर अपने आशियाने बना रखे हैं। शिमला के कच्ची घाटी, चक्कर, न्यू शिमला, कैंथू, नाभा, कुसुम्पटी, देवनगर कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां पर कर्मचारी ही रहते हैं । शिमला के साथ लगते क्षेत्रों ढली, समिट्री, बाइपास, मल्याणा कुछ ऐसे बड़े क्षेत्र हैं,जहां पर कर्मचारियों के आलीशान मकान हैं।

शिमला में 28 हजार कर्मचारी

राजधानी शिमला में पूरी सरकार बैठती है।  इसके साथ केंद्र सरकार के कार्यालय भी यहां पर हैं। यहां राज्य सचिवालय, राजभवन, विधानसभा समेत सभी विभागों के मुख्यालय हैं। इनके साथ यहां बोर्ड व निगमों के मुख्यालय भी बने हुए हैं। यहां कर्मचारियों का कुल आंकड़ा लगभग 28 हजार है, जिसमें से 26 हजार राज्य सरकार और दो हजार केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं। इनमें से लगभग 16 हजार कर्मचारियों ने राजधानी में अपने मकान बना रखे हैं और फ्लैट्स लेकर उनमें रह रहे हैं।

आईएएस की अलग से कालोनी

शिमला में मकान बनाने का क्रेज नौकरशाही को ही नहीं बल्कि अफसरशाही को भी है। यहां सरघीण में आईएएस ने अपनी सोसायटी का गठन कर मकान बना रखे हैं। इसके साथ कई अधिकारी परिमहल के पास बनी सरकारी आईएएस कालोनी में भी रहते हैं, जो अधिकारी यहां आता है वह यहीं का बन जाता है। कई अधिकारी ऐसे हैं , जो कि प्रदेश से बाहर के हैं, मगर फिर भी उनके मकान यहां पर बने हुए हैं।

कर्मचारियों का नहीं होता स्थानांतरण

शिमला में राज्य सचिवालय समेत कई ऐसे सरकारी महकमें हैं, जिनके कर्मचारियों का तबादला एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं होता। राज्य सचिवालय की बात करें तो यहां 1350 अधिकारी व कर्मचारी तैनात हैं। सचिवालय के करीब 700 कर्मचारियों ने  शिमला में अपने मकान बना रखे हैं, वहीं फ्लैट्स खरीदे हुए हैं। इन कर्मचारियों की यहां पर दो हाउसिंग सोसायटी हैं। बसंत विहार में बनाई एक सोसायटी में 108 मकान हैं। इसके अलावा भ्यूलिया के पास भी इतनी ही बड़ी एक सोसायटी  के माध्यम और मकान बनाए जा रहे हैं, जिसके लिए निजी जमीन की खरीद हो चुकी है। कर्मचारियों ने यहां विकास नगर में फ्लैट्स खरीद रखे हैं, वहीं न्यू शिमला में कर्मचारियों द्वारा ही बसाया गया है, जहां पर हिमुडा की कालोनियों में हजारों कर्मचारी रह रहे हैं।

शिमला में हर साल आते हैं लाखों पर्यटक

हिल्स क्वीन की सैर को हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में राजधानी शिमला में घूमने आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या एक लाख 65 हजार 476 दर्ज की गई है, वहीं  देशी पर्यटकों की संख्या 34 लाख 16 हजार 629 की दर्ज की गई है।

राजधानी में 1848 है सरकारी मकान

प्रदेश सरकार ने भी यहां रहने वाले कर्मचारियों के लिए सरकारी आवासों का निर्माण कर रखा है। सरकार की शर्त है कि जिन कर्मचारियों का शिमला में अपना मकान होगा वह सरकारी अकोमोडेशन नहीं रख सकता। सरकार द्वारा यहां ब्रौकॉस्ट में 306, कुसुम्पटी में 312, यू्एस क्लब में 304, नाभा ईस्टेट में 415, एचपी पूल में 180, एसडीए में 69, मैहली में 69, इलर्जली में 84, बार्नेस कोर्ट में 86, पीटरहॉफ के पास 23 यानि कुल 1848 मकान बना रखे हैं।

500 बसें चलती हैं शिमला से

राजधानी से रोजाना करीब 500 बसें चलती हैं, जिसमें से 200 के करीब बसें प्रदेश से बाहर जाती हैं। इनके अलावा जिला मुख्यालयों के लिए हैं।   इनमें हरिद्वार, देहरादून, टनकपुर, दिल्ली, कटड़ा, पटियाला, चंडीगढ़, अमृतसर, गुड़गांव, मुख्य रूट हैं। शिमला डिपो की बात करें तो इनकी हरिद्वार के लिए शिमला से दस बसें रोजाना चलती हैं, वहीं दिल्ली के लिए 12 वोल्वो, एक टाटा एसी तथा 60 साधारण बसें चलाई जाती हैं। इसके साथ चंडीगढ़ के लिए इस डिपो की सभी बसों को मिलाकर 60 से 70 बसें प्रतिदिन चलती हैं। जिला मुख्यालयों को भी शिमला से चार से पांच बसें चलाई जा रही हैं। लगभग 150 निजी बसें भी शिमला से प्रदेश के विभिन्न रूटों को चलती हैं।


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