केंद्र को एडवांस स्टडीज इंस्टीच्यूट की फिक्र नहीं

By: Apr 22nd, 2017 12:40 am

भारत सरकार को साढ़े तीन साल पहले भेजी गई 56 करोड़ की डीपीआर अब तक मंजूर नहीं हो सकी

NEWSशिमला— देश-प्रदेश व विदेश तक प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार शिमला के ऐतिहासिक एडवांस्ड स्टडीज इंस्टीच्यूट पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय गंभीर नहीं है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक साढ़े तीन वर्ष पहले इस संस्थान की मरम्मत के लिए 56 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए मंत्रालय को भेजा था, मगर इस पर अब तक कोई भी कदम नहीं उठाया जा सका है। भारतीय पुरातत्त्व विभाग व केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को संयुक्त तौर पर इसकी देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है। संस्थान में जाने-माने लोग पहुंचते हैं, गोष्ठियां भी आयोजित होती हैं, मगर केंद्रीय मंत्रालय को शायद इससे कोई सरोकार नहीं है। मजबूरी में अब इस संस्थान ने अपनी ही आमदन के तहत आठ करोड़ की राशि से बरसात में रिसते रसोईघर को संवारने की योजना तो बनाई है, मगर उसके लिए भी पिछले डेढ़ वर्ष से कंसल्टेंट ही नहीं मिल पा रहा। अब फिर से इस योजना के लिए निविदाएं आमंत्रित करने की तैयारी है। बताया जाता है कि पहले जो कंसल्टेंट आए थे, उन्होंने छोटा सा कार्य करने से मनाही कर दी। इस हेरिटेज इमारत के कई कमरों में लीकेज की समस्या वर्षों से आड़े आ रही है। इमारत का पिछला हिस्सा जर्जर होने की कगार पर है। हर साल यहां देश-विदेश से टूरिस्ट बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। वास्तव में एडवांस्ड स्टडीज शिमला की एक पहचान है, मगर केंद्रीय मंत्रालय को इससे कोई मतलब नहीं। वर्ष 1888 में बनी यह ऐतिहासिक इमारत ब्रिटिशकालीन वायसराय लॉज के नाम से भी विख्यात है। काष्ठ कला व गारे से निर्मित यह इमारत वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। उस जमाने में इसकी टीकवुड वर्मा (वर्तमान में म्यांमार) से लाई गई थी। स्वतंत्रता के बाद इस इमारत को राष्ट्रपति निवास के रूप में बदला गया। हालांकि राष्ट्रपति इस इमारत में साल के कुछ ही दिनों तक रहते थे। बाद में शिमला के छराबड़ा स्थित रिट्रीट में उनका ग्रीष्मकालीन आवास तय हुआ।

ये है खास

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला की स्थापना वर्ष 1965 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत की गई थी और यह राष्ट्रपति निवास शिमला में है, यह संस्थान जीवन तथा विचार संबंधी मौलिक विषयों एवं समस्याओं के बारे में निःशुल्क एवं सृजनात्मक अन्वेषण के लिए एक आवासीय केंद्र है।

यहां यह होता है काम

मानव महत्त्व वाले विषयों में सृजनात्मक सोच को बढ़ावा देना और शैक्षिक शोध के लिए उपयुक्त माहौल प्रदान करना और साथ ही मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा विकास, पद्धतियों एवं तकनीकों में उच्च अनुसंधान शुरू करना शामिल है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App