कैदी जीवन का कैफे

By: Apr 12th, 2017 12:02 am

मिजाज बदलने की मंशा इनसान के लक्ष्यों को सुधार देती है और अगर प्रशासनिक तौर पर इसे तरजीह मिले तो सरकारी कार्य संस्कृति बदल सकती है। शिमला में खुले बुक कैफे की परिकल्पना में कैथू जेल का मानवीय सुधार कार्यक्रम अब जनता से रू-ब-रू है। शिमला के रिज पर बुक कैफे की एक साधारण व्याख्या में इसके इरादे किसी व्यावसायिक परिसर की तरह हो सकते हैं, लेकिन इस सेवा के पीछे हृदय परिवर्तन की धड़कनें सुनी जा सकती हैं। बेकरी उत्पादों की बिक्री से न जाने कितनी बेडि़यां खुलेंगी और किताबों के पन्ने जब मुस्कराएंगे, तो कैदियों की ठहरी सी जिंदगी भी पलट कर कुछ अध्याय अपने नाम कर लेगी। इस कैफे में निश्चित तौर पर जिंदगी की नई सुबह देखने का संकल्प दिखाई देता है और यह निरंतर प्रक्रिया है, जो एक साथ कई जेलों में जीवन को नए सिरे से बुन रही है। नाहन, बिलासपुर, धर्मशाला और शिमला के जेल परिसर अब जीवन की चुनौतियों के सरल विकल्प तलाश रहे हैं। समाज के सामने चित्रित होती ऐसी तस्वीर के मायने अगर अपराध को शिकस्त देने की वजह से सफल हो रहे हैं, तो हिमाचल का जेल प्रशासन साधुवाद का हकदार है। कैदियों की जिंदगी को बदलने के प्रयास वर्षों से जारी हैं और बंद कोठरियों से निकलकर कई लोगों ने अपना रास्ता ही अमर बना दिया, लेकिन जो पहल अब हो रही है उसका संदेश व्यापक और मर्मस्पर्शी है। सार्वजनिक भूमिका में कैदी के नक्श को स्वीकार कराने की जिद और आचरण में बदलाव लाने की ऐसी परिपाटी, केवल लकीरें खींच कर संभव नहीं, बल्कि यह नए दौर का साहसिक मार्ग है। जिन परिस्थितियों में अपराध की गणना या शिनाख्त होती है, वहां गलत होते हुए भी कई बार आवेश में इनसानी चरित्र हारा होता है। आत्मग्लानि और अपमान के घूंट पीकर भी अंततः कैद के अंधेरों में भी आत्मसम्मान खोजा जाता होगा। कैद को जीवन की आशा में लपेटना और पुनर्स्थापित करना आसान नहीं और जिस शिद्दत से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है, उससे प्रतीत होता है कि एक लम्हा अगर नसीब बन जाए, तो उम्र भर के सफर को मंजिल बनाने की दिशा मिल सकती है। यही दिशा अब कैदियों को हुनरमंद बना रही है और वे तमाम कार्य जेल में हो रहे हैं जो समाज को प्रभावित करते हैं या उनके उपयोग की मांग में रहते हैं। शिमला का बुक कैफे इस दृष्टि से नया अवतरण है। यहां हिमाचल सीधे पर्यटकों से रू-ब-रू होगा और ऐसे आत्मीय प्रयास से जो छवि परिमार्जित होगी, उसका आकलन किसी तराजू या मानदंड पर नहीं हो सकता। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि रिज की भीड़ के बीच एक मुकाम जेल प्रशासन ने भी सुनिश्चित किया है। सामाजिक तौर पर कैदी जीवन में आ रहे ऐसे क्रांतिकारी कदमों को प्रश्रय मिलना चाहिए। एक दस रुपए का क्रीम रोल किसी भी सामान्य दुकान में मोल-तोल करेगा, लेकिन जेल प्रशासन की बेकरी में यह खरीद किसी कैदी को नए जीवन का प्रमाण पत्र देती है। कैदियों को सुधारने में समाज की भूमिका को और विस्तृत करते हुए ऐसे नजरिए की पैरवी करनी होगी, जो आत्मसम्मान की ऊर्जा को बांट सके। जेल सुधारों में आ रहे परिवर्तनों की बदौलत कैदियों के सार्वजनिक संबंध फिर से खुद को मुख्यधारा में उद्धृत कर रहे हैं। शिमला का बुक कैफे अपने लक्ष्यों को बटोरने में यकीनन सफल होगा, लेकिन जिस कहानी को यह लिख रहा है, उसे पढ़कर हम अपना हृदय कोमल कर सकते हैं, क्योंकि इसके पात्रों में कोई हमारा अपना भी हो सकता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App