कॉफी हाउस की कॉफी है शिमला की जान

By: Apr 28th, 2017 12:07 am

नहीं भूलते लोग रतन की पूड़ी, आज भी लगते हैं सीता राम के चने-भटूरे के चटकारे

NEWSNEWSशिमला – पहाड़ों की रानी शिमला सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए ही मशहूर नहीं है,बल्कि इसके कई दूसरे कारण भी हैं, जिसकी वजह से आज भी ये शहर जिंदादिली की मिसाल है। वर्तमान में भले ही भागदौड़ भरी जिंदगी में ये शहर उलझता हुआ नजर आता है, लेकिन इससे जुदा इसका एक अंदाज कुछ अलग ही है। वो है यहां के वे लोग जिनके दम पर शिमला पहले भी चलता था और आज भी चलता है। रिज मैदान पर घूमते हुए किसी को भी पूड़ी हाथ में लिए चने चबाते हुए आसानी से देखा जा सकता है। रतन गौतम 41 साल से शिमला के रिज पर पूड़ी बेचने का कारोबार कर रहे हैं, जिनके चनों और मूंगफली का स्वाद लोगों की जुबां पर ऐसा चढ़ा है कि उतरने का नाम ही नहीं लेता। शिमला में अनगिनत ऐसे लोग हैं, जो सालों से रतन की पूड़ी रोजाना खाते हैं। रिज से गुजरते हुए किसी ने इन चनों व मूंगफली का स्वाद नहीं लिया, तो क्या किया, कुछ ऐसी कहावत इनके लिए भी मशहूर है। बिलासपुर जिला के रहने वाले रतन के साथ कभी 30 लोग इसका कारोबार शिमला में करते थे, लेकिन आज वह अकेले ही बचे हैं, जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों को चने व मूंगफली का लुत्फ दे रहे हैं। यही नहीं शिमला में रहने वाले लोग बचपन में उनसे ली गई रेत्ती के चूर्ण को कभी भुला नहीं सके। इसी तरह से शहर में सीता राम के चने भटूरे इतने मशहूर हैं कि आज भी इसके चटकारे लेते लोग दिखाई देते हैं। शिमला के लक्कड़ बाजार में पिता की ये विरासत उनके बेटे संभाले हुए सीता राम चाट शॉप के नाम से मशहूर इस दुकान के खुलते ही यहां लाइन लग जाती है और दोपहर तक सब सफाचट्ट हो जाता है।  इन चने भटूरों का स्वाद लेने के लिए लोग जल्दी से जल्दी दुकान पर पहुंचने की होड़ में रहते हैं। शिमला ही नहीं बल्कि बाहर से आने वाले लोगों में भी ये खासे मशहूर हैं। शहर में एक खास जगह यहां का कॉफी हाउस है, जहां पर बुजुर्ग रोजाना बैठे दिखाई देते हैं, वहीं नौजवानों में भी यहां का बड़ा क्रेज है। यहां कॉफी की चुस्कियां लेने में वीवीआईपी भी पीछे नहीं रहते, जो कोई भी वीवीआईपी शिमला आता है वह माल रोड पर घूमते हुए कॉफी हाउस जरूर पहुंचता है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जब भी मालरोड पर किसी कार्यक्रम में पहुंचते हैं, तो कॉफी हाउस में गॉसिप के लिए जरूर आते हैं। ऐसे ही कई दूसरे बड़े नाम भी हैं। शिमला में सेवानिवृत्त अधिकारी व कर्मचारी कॉफी हाउस की शान आज भी बने हुए हैं। बाहर से आने वाले लोग कॉफी हाउस का नाम सुनकर ही यहां पहुंच जाते हैं। पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को अपनी सेवाएं देने में कश्मीरी कुलियों का भी बेहद बड़ा योगदान है। लोगों के घरों तक उनकी रोजमर्रा की चीजें पहुंचाने में कश्मीरी कुलियों का बड़ा हाथ है, वहीं राजधानी का आधे से ज्यादा बोझा ढोने की पूरी जिम्मेदारी ये लोग सालों से  निभा रहे हैं। वर्तमान में इनका साथ सिरमौरी कुली भी खूब दे रहे हैं। सिरमौर के लोगों ने यहां प्रैम चलाने का एक नया व्यवसाय चलाया है, जिसमें पर्यटकों के बच्चों को ये लोग घूमाते हैं। इसका भी माल व रिज पर खूब आनंद लिया जाता है। इसके साथ रिज में हॉर्स राइडिंग का भी अपना ही मजा है, वहीं यहां पर  फोटोग्राफर पहाड़ी वेशभूषा में पर्यटकों के चित्र खिंचते हैं, जिनके लिए ये यादगार साबित होता है। वापस लौटकर ये लोग आज भी शिमला की इस जिंदादिली की बातें करते हैं, जिससे यहां पर्यटकों की कमी कभी नहीं हुई बल्कि पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ ही रही है। यूं कहें की राजधानी को ये वर्ग जिंदा रखे हुए है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।


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