गोरक्षा या गुंडागर्दी !

By: Apr 11th, 2017 12:01 am

गोरक्षा के नाम पर हिंसा गलत है। गोहत्या न की जा सके, इसके लिए देश भर में एक ही कानून बनाना चाहिए। यह चिंता और नसीहत सरसंघचालक मोहन भागवत ने जताई है। सिर्फ यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली की एक जनसभा के दौरान कहा था कि गोरक्षकों में 70-80 फीसदी लोग असामाजिक तत्त्व होते हैं। गोरक्षा का गोरखधंधा बंद किया जाना चाहिए। सरसंघचालक के कथन पर प्रतिक्रियाएं शेष हैं, लेकिन तब संघ परिवार के ही एक तबके के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘आस्तीन का सांप’ तक करार दे दिया था। मौजूदा दौर में हिंदुत्व के पागलपन का अभियान जारी है। गोरक्षा को भी हिंदुत्व के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। सवाल है कि गोरक्षा के नाम पर पीट-पीट कर हत्या करने वाले कथित गोरक्षक कौन हैं? उन्हें यह हिंसा करने या हत्याएं करने की छूट किसने दी है? क्या ये गोरक्षक संघ और भाजपा के ही सदस्य हैं? चूंकि अब सरसंघचालक भागवत ने चिंता जताई है, लिहाजा उनका मानना है कि गोरक्षा की आड़ में गुंडागर्दी की जा रही है। एक तरफ योगी आदित्यनाथ जब से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तभी से ये व्याख्याएं जारी हैं कि हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। वंदे मातरम् से लेकर राम मंदिर निर्माण तक के विवाद नए सिरे से छिड़ गए हैं। गोरक्षा के नाम पर हिंसा के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। गुजरात में गोहत्या पर उम्रकैद की व्यवस्था है, फिर भी दलितों की हत्या करते हैं गोरक्षक ! गुजरात के अलावा, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों में भी गोहत्या पर कानूनी प्रतिबंध है। लेकिन फिर भी गोतस्करी, गोहत्या और गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी जारी हैं! गौरतलब है कि कथित गोरक्षकों की कारगुजारियां, अंततः, संघ और भाजपा को ही ‘दागदार’ और सवालिया बनाएंगी। उनकी सियासत भी प्रभावित हो सकती है। सवाल हिंदू या मुसलमान का नहीं है। गाय को हम ‘माता’ की तरह पूजते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि गउओं को लावारिस घूमते भी देखा जा सकता है, भूख से पीडि़त गउएं पोलीथीन तक खाने को विवश हैं, वे कूड़े में भी मुंह मारते देखी जा सकती हैं। यदि वाकई गाय हमारी ‘मां’ है, तो ऐसी अवस्था क्यों है? कानपुर में देश की सबसे अमीर गोशालाएं हैं। बीते मात्र दो महीने के दौरान ही वहां 21 गउएं भूख से क्यों मर गईं? किसी की जवाबदेही है? यदि गोहत्या पर कानूनन पाबंदी है, तो उसका कठोर पालन किया जाना चाहिए, लेकिन गोरक्षा के नाम पर यह गुंडागर्दी भी स्वीकार्य नहीं हो सकती, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। देश भर में एक ही कानून हो, इसके लिए प्रधानमंत्री संसद के जरिए एक सार्थक प्रयोग करें। गाय को ‘माता’ मानने वाले इस देश में 24 लाख टन बीफ का निर्यात किया जाता है। इस संदर्भ में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। यह विरोधाभास क्यों है? यदि इतना बीफ निर्यात किया जा रहा है, तो तय है कि गोहत्या और उसके परिवार में बछड़े, बैल, सांड आदि की हत्या भी जारी है। साफ है कि या तो कानून अपना काम नहीं कर रहा है या कानून का पालन कराने वाली एजेंसियां दोगली हैं अथवा ‘मां’ के नाम का हम ढकोसला कर रहे हैं! प्रधानमंत्री ने कुछ संभ्रांत लोगों को संबोधित करते हुए गोमूत्र, गोबर के चिकित्सीय गुणों का बखान भी किया था, लेकिन सत्य यह है कि देश में गोहत्या फिर भी जारी है। उसकी आड़ में कुछ सिरफिरे अपना हिंसक अभियान जारी रखे हैं और उनके परिवारजन मानते हैं कि वह तो गोरक्षा करता है! ऐसी गोरक्षा हमें स्वीकार नहीं है, जो अराजकता को जन्म देती है। उत्तर प्रदेश  में तो बूचड़खाने खुद ही बंद हो गए या नए मुख्यमंत्री के ‘हिंदूवादी’ खौफ ने करा दिए और अब कबाब बेचने वाले पूरी-सब्जी बेच रहे हैं, लेकिन यह स्थिति देश भर में होनी चाहिए और कानून तथा संविधान के दायरे में यह निश्चित किया जाए कि अवैध कत्लगाह काम न कर पाएं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App