बिना पंजीकरण के होटलों में कारोबार!

By: Apr 13th, 2017 12:05 am

कुल्लू —  जिला कुल्लू में होटलों का आकंड़ा हजार को पार कर गया है, लेकिन अभी तक सैकड़ों होटलों का पंजीकरण नहीं हुआ, जबकि होटलों का पंजीकरण होना जरूरी है। इन होटलों में बिना पंजीकरण के कैसे कारोबार चल रहा है, इसकी न जिला प्रशासन और न ही जिला पर्यटन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। जानकारी के अनुसार कई होटलों में पर्यटकों से खाने-पीने और रहने के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। पर्यटकों को मजबूरी में मनमाने दाम देने पड़ रहे हैं। पर्यटन विभाग के नियमों के अनुसार होटलों का पंजीकरण होना जरूरी है। जिला कुल्लू में होटल तो हजार का आंकड़ा पार कर गए हैं। वहीं,  कोटेज तथा सराय भी काफी संख्या में बनी हुई हैं, लेकिन अभी तक पंजीकरण होना बाकी है। विभाग निरीक्षण कर इन होटलों पर कोई कार्रवाई नहीं कर  रहा है। प्रशासन की गोकुल्लू वेबसाइट  पर नजर दौड़ाई जाए तो उसमें पंजीकृत होटल 670 के करीब हैं। पर्यटन विभाग के पास भी लगभग यही आंकड़ा है। पिछले दो-तीन सालों  में कुल्लू, मनाली, मणिकर्ण सहित अन्य पर्यटन स्थलों के आसपास काफी संख्या में होटल बने हुए हैं, लेकिन विभाग के पास पुराना आंकड़ा ही चल रहा है।  होटल संचालकों को होटल के स्टाफ का पंजीकरण पुलिस विभाग के पास करवाना होता है, लेकिन जिला कुल्लू के होटलों, ढाबों में ऐसे कई कर्मचारी हैं, जिनका पंजीकरण नहीं हुआ है। लिहाजा, हिमाचल में पर्यटन इकाइयां तो तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन मौजूदा विधेयक में गैर पंजीकृत इकाइयों पर सख्ती का प्रावधान नहीं है। पर्यटकों का व्यवस्था में विश्वास पैदा करने के लिए ही सरकार ने सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर सख्ती करने का फैसला लिया है। यह भी देखा गया है कि गैर पंजीकृत इकाइयां उनके खिलाफ अनियमितताओं को लेकर न्यायिक कार्रवाई के बाद भी चलती रहती हैं। इसलिए विधेयक में उपरोक्त व्यवस्था प्रस्तावित की गई है।


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