मनरेगा मजदूर भी वर्कर फिर रजिस्टर्ड क्यों नहीं

By: Apr 26th, 2017 12:20 am

newsशिमला— हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश श्रमिक कल्याण बोर्ड द्वारा मनरेगा लाभार्थियों को पंजीकृत न किए जाने के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने मनरेगा यूनियन द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने 2013 में अधिसूचना जारी कर निर्णय लिया था कि मनरेगा मजदूरों को भी बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्ज अधिनियम के तहत दिए जाने वाले वित्तीय लाभ और अन्य सहायता प्रदान की जाएगी, लेकिन केंद्र सरकार ने लगभग चार साल के पश्चात इस अधिसूचना को वापस ले लिया।  गौरतलब है कि एक अन्य मामले में  कामगार बोर्ड ने जवाब दायर कर अदालत को बताया था कि मार्च, 2015 तक बोर्ड के पास सेस से लगभग 246 करोड़ रुपए की राशि इकत्रित की गई है, जिसमें से सिर्फ लगभग नौ करोड़ रुपए पंजीकृत लाभार्थी वर्कर्ज को वितरित किए गए हैं। बाकी राशि से ऊना के दुलैहड़ में 4,46,44,100 रुपए की लागत  से वर्कर्ज होस्टल बनाया जा रहा है, जिसका निर्माण किया जा रहा है। इसी तर्ज पर चंबा और मंडी में भी होस्टल बनाए जाने की योजना है। सेस द्वारा एकत्रित राशि से  शिमला, सिरमौर, और किन्नौर जिलों में भी होस्टल बनाने और ऊना में कौशल विकास प्रशिक्षण संस्थान बनाए जाने की योजना है। ज्ञात रहे कि बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्ज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सेस से एकत्रित की गई राशि सिर्फ पंजीकृत लाभार्थी वर्कर्ज के हितों में ही खर्च की जा सकती है। प्रार्थी यूनियन ने दलील दी है कि जब इस राशि को सिर्फ मजदूरों के हितों के लिए ही रखा गया है, तो मनरेगा मजदूरों को भी इसका लाभ दिया जाना चाहिए।


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