मेडिकल कालेज को फिर जमीनी पेंच

By: Apr 1st, 2017 12:01 am

हमीरपुर के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 15 एकड़ से ज्यादा जमीन देने पर दिया रेड सिग्नल

हमीरपुर —  केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हमीरपुर मेडिकल कालेज को 15 एकड़ से ज्यादा भूमि देने पर रेड सिग्नल दिखाया है। अपने ताजा फैसले में वन पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय ने कहा है कि इस कालेज के लिए जरूरी 20 एकड़ जमीन में पांच एकड़ क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर की भूमि से कटौती होगी। एमसीआई के निर्धारित मापदंडों के अनुसार 20 एकड़ से कम भूमि पर मेडिकल कालेज का निर्माण संभव नहीं है। इसे आधार मानते हुए मंत्रालय ने कहा है कि पांच एकड़ जमीन पर पहले से ही क्षेत्रीय अस्पताल की जद में शामिल है। शेष 15 एकड़ जोलसप्पड़ में स्वीकृत कर दी जाएगी। बहरहाल, केंद्रीय मंत्रालय के इस रुख के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि हमीरपुर मेडिकल कालेज के निर्माण को लेकर अभी तक तस्वीर धुंधली है। मंत्रालय से चार बार भूमि स्वीकृति का मामला आपत्तियों के चलते खारिज हो चुका है। अब आपत्ति के साथ वापस भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि मेडिकल कालेज के लिए आधारभूत ढांचे का निर्माण होगा। इसके लिए मंत्रालय अढ़ाई एकड़ से ज्यादा जमीन भवन निर्माण के लिए स्वीकृत नहीं करेगी, क्योंकि इस मेडिकल कालेज को क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर तथा जोलसप्पड़ में दो अलग-अलग जगह चलाया जाना प्रस्तावित है। इस कालेज का अस्पताल हमीरपुर में ही होगा। लिहाजा मंत्रालय ने एमसीआई के मापदंडों का हवाला देते हुए अस्पताल की पांच एकड़ जमीन जोलसप्पड़ में कम कर दी है। बहरहाल, हमीरपुर मेडिकल कालेज के निर्माण के लिए यह एक और झटका माना जा सकता है। वहीं तीसरी बार 20 एकड़ भूमि की मंजूरी का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा गया। अब इस पर केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय ने पांच एकड़ जमीन की और कटौती कर दी है। इसके तहत पांच एकड़ क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर और 15 एकड़ जोलसप्पड़ की जमीन में होस्टल और क्लास रूम बनेंगे।

केंद्र को भेजा था 35 एकड़ का प्रस्ताव

हमीरपुर मेडिकल कालेज के लिए प्रदेश सरकार ने हमीरपुर-नादौन मार्ग पर 35 एकड़ भूमि चिन्हित की थी। इस प्रस्ताव के साथ यह मामला मंजूरी के लिए वर्ष 2015-16 में केंद्रीय मंत्रालय को भेजा गया था।

फोरेस्ट लैंड के चलते हुई थी कटौती

मंत्रालय ने जोलसप्पड़ में चिन्हित भूमि को फोरेस्ट लैंड बताते हुए 15 एकड़ भूमि में कटौती करने को कहा था। वन मंत्रालय ने कहा था कि निर्धारित मापदंडों के अनुसार 20 एकड़ जमीन होना जरूरी है।


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