शिक्षा विभाग के वजीफों में अनियमितताएं

By: Apr 1st, 2017 12:01 am

गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों के छात्रों को बांट दी 9.59 करोड़ की छात्रवृत्तियां

शिमला  —  शिक्षा विभाग की ओर से पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्कीम के तहत छात्रवृत्तियों के वितरण में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि विभाग की ओर से उन छात्रों को 9.59 करोड़ की छात्रवृत्तियां दे दी गईं, जो इसके पात्र ही नहीं थे। कैग रिपोर्ट के मुताबिक डाटा की संवीक्षा में पाया गया कि निदेशक उच्च शिक्षा ने 2014-15 के दौरान 2588 छात्रों, जो विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत पांच सस्थानों, जिनको विवि अनुदान आयोग द्वारा मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाने के लिए प्राधिकृत नहीं किया गया था, मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। इस प्रकार पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्कीम के लिए पात्र मानदंड की पूर्ति नहीं करते थे, उन्हें छात्रृवत्तियों के रूप में 9.59 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। स्पष्टतः निदेशक उच्च शिक्षा, छात्रवृत्तियों की स्वीकृति तथा अवमुक्ति से पूर्व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नीति के अनुसार संस्थानों की प्रस्थिति का सत्यापन करने में विफल रहा। विभाग ने बताया कि (जून 2016) मामले को पुनर्सत्यापन के लिए संबंधित संस्थानों तथा बैंकों के समक्ष उठाया जाएगा और दो संस्थानों ने डुप्लीकेट भुगतानों की राशि लौटा दी है। मामला सितंबर, 2016 में सरकार को प्रेषित किया गया था। इस बारे में उत्तर ही नहीं दिया गया। दरअसल योजना के तहत मान्यता प्राप्त संस्थानों में पोस्ट मैट्रिकुलेशन स्तर पर पढ़ाई कर रहे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों से संबंधित विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। मान्य प्राप्त संस्था में मात्र मान्यता प्राप्त पोर्ट मैट्रिकुलेशन व पोस्ट सेकेंडरी पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।

गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों में वजीफा मान्य नहीं

यूजीसी ने साफ किया है कि निजी विश्वविद्यालयों में ऑफ कैंपस अध्ययन केंद्रों की स्थापना की अनुमति नहीं दी गई है और गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों से अर्जित की गई किसी भी तरह की पात्रता छात्रवृत्तियों के लिए मान्य नहीं है।


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