सुकमा ही टारगेट क्यों

By: Apr 28th, 2017 12:01 am

( सुनीता पटियाल, अणु, हमीरपुर )

छत्तीसगढ़ के सुकमा में भीषण नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों ने अपनी शहादत दी और सात जवान घायल हो गए। सीआरपीएफ के एक घायल जवान का कहना है कि हमला उस समय हुआ, जब सभी जवान खाना खाने बैठे थे। अब सवाल उठना लाजिमी है कि कंपनी कमांडर ने सारे जवानों को एक साथ खाना खाने के लिए क्यों भेजा? 74वीं बटालियन के जवान वहां बन रही सड़क के काम में लगे लोगों को सुरक्षा देने के लिए तैनात थे, तो उसी वक्त 300 नक्सलियों ने घात लगाकर उन पर हमला किया। इससे हमारे जवानों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। नक्सलियों का ग्राउंड जीरो सुकमा ही क्यों है? गौरतलब है कि यह हमला किसी एक-दो दिन की तैयारी नहीं थी। हो सकता है कि कुछ गांव वालों ने भी नक्सलियों की इस हमले में मदद की हो। छह घंटे तक हमारे जवान 300 नक्सलियों से लड़ते रहे। उनकी सुरक्षा के लिए दूसरे जवान क्यों नहीं बुलाए गए? जो जवान देश की रक्षा करते समय अपने प्राणों की आहूति देने से भी हिचहिचाते नहीं, उन्हें सुरक्षा कवच देने के लिए सरकार को परहेज क्यों? सच कड़वा है, परंतु सच तो सच ही है। नक्सलियों ने हमले के वक्त मची अफरातफरी में हमारे जवानों की राइफलें तक लूट लीं। अब सवाल यह उठता है कि सारे नक्सली आखिर गए तो कहां गए? क्या हमारा काम हमले की निंदा करना या शहीदों को श्रद्धांजलि देना ही है या फिर सरकार इस घटना के बाद कोई ठोस कदम उठाएगी?

 


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