एनजीटी की डीडीए को फटकार

By: May 12th, 2017 12:02 am

कहा, विशेषज्ञ रिपोर्ट पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं

नई दिल्ली —  राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने यमुना किनारे गत वर्ष आयोजित विश्व सांस्कृतिक समारोह से नदी के पर्यावरण को हुए नुकसान के बारे में उसकी विशेषज्ञ टीम की रिपोर्ट पर सवाल उठाने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को गुरुवार को जमकर फटकार लगाई। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने सात सदस्यीय विशेष टीम की रिपोर्ट पर डीडीए की ओर से दायर जवाब पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि डीडीए को इस पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं है। पीठ ने कहा कि यह गलत है। आप को ऐसे लोगों के बारे में गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है जिन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण संरक्षण को समर्पित किया है। हम आपको सख्त चेतावनी देते हैं कि अगर किसी ने इस तरह कि हिमाकत दोबारा की तो हम उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाएंगे। डीडीए की ओर से पेश अधिवक्ता ने इस पर कहा कि उनका इरादा रिपोर्ट पर सवाल उठाने का नहीं था, बल्कि वह बस इतना जानना चाहते थे कि यह रिपोर्ट किस आधार पर तैयार की गई है और इसके लिए किस तरह की वैज्ञानिक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है। एनजीटी की विशेषज्ञ टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि समारोह के आयेाजन की वजह से युमना के पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है। इसे ठीक करने में करीब 42.2 करोड़ रुपए का खर्च आ सकता है।

श्रीश्री के कार्यक्रम पर जताई थी आपत्ति

श्रीश्री रविशंकर के संगठन आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा नदी किनारे गत वर्ष 11 से 13 मार्च के बीच विश्व सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया था। एनजीटी ने समारोह के आयोजन के वक्त भी आपत्ति दर्ज करते हुए डीडीए से कहा था कि उसने बिना सोचे समझे इतन बड़े आयोजन की स्वीकृति कैसे दी। डीडीए ने उस समय अपनी सफाई कहा था कि उसे अंदाजा नहीं था कि कार्यक्रम इतना बड़ा होगा। मगर एनजीटी डीडीए के इस सवाल से संतुष्ट नहीं हुआ था और उसने उसपर सवालों की झड़ी लगा दी। एनजीटी ने पूछा था ‘आर्ट ऑफ लिविंग ने करीब 24 हेक्टेयर की जमीन की जरूरत आपको बताई थी।

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