एसटी दर्जे के हकदार हैं हाटी

By: May 5th, 2017 12:05 am

हरिपुरधार, संगड़ाह  —  केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुओल ओराम के हरिपुरधार दौरे से गिरिपार क्षेत्र के लगभग 2.80 लाख हाटियों को गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा प्रदान करने की पूरी उम्मीद है। हाटी कबीले के लोग उत्तराखंड की तर्ज पर गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की मांग पिछले 49 वर्षों से कर हैं। केंद्रीय मंत्री पांच मई को मां भंगायणी मेले के समापन पर हरिपुरधार आ रहे हैं। मेले में हाटी समिति की और से केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री के समक्ष इस एक सूत्रीय प्रमुख मांग को प्रमुखता से उठाए जाने की पूरी संभावना है। शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद विरेंद्र कश्यप भी केंद्रीय मंत्री के साथ हरिपुरधार आ रहे हैं। गिरिपार क्षेत्र के लोगों की इस प्रमुख मांग को सांसद विरेंद्र कश्यप भी जोरदार तरीके से केंद्रीय मंत्री के समक्ष उठा सकते हैं। सांसद कश्यप पछले लगभग आठ वर्षों से संसद में इस मांग को जोरदार ढंग से उठा रहे हैं। 127 पंचायतों की करीब पौने तीन लाख की आबादी वाला गिरिपार क्षेत्र विकास के मामले में अत्यंत पिछड़ा हुआ है। यदि यह मांग पूरी हो जाती है तो गिरिपार क्षेत्र की तकदीर व तस्वीर बदल जाएगी। गिरिपार क्षेत्र से सटे उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र को केंद्र सरकार ने 1967 में जनजातीय क्षेत्र का दर्जा प्रदान किया था। जौनसार बावर व गिरिपार क्षेत्र की कबीलाई परंपराएं, संस्कृति, रीति-रिवाज व लोगों का रहन-सहन व खान-पान एक समान होने के बावजूद गिरिपार क्षेत्र को उपेक्षित किया गया। 1968 में गिरिपार क्षेत्र के लोग इस मांग को लेकर लामबंद्ध हो गए। सरकार के समक्ष इस मांग को तेज करने के लिए 1979 में हाटी समिति का गठन किया गया। 1983 में हाटी समिति को रजिस्टर्ड किया गया। पिछले पांच दशक से हाटी समिति का यह आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से जारी है। 2011 में हाटी समिति के लोग इस मांग को लेकर यूपीए सरकार के तत्त्काल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात कर चुके हैं। 2016 में हाटी समिति के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके उनके समक्ष भी यह मांग उठाई थी। मोदी ने हाटी समिति को मांग पूरी करने का आश्वासन दिया है। 2013 में ट्राईबल कमीशन की नोडल एजेंसी ने ट्रांसगिरि क्षेत्र का दौरा करके ट्राईबल सर्वे किया। रिपोर्ट के मुताबिक ट्राईबल कमीशन ने ट्रांसगिरि क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की पुरजोर वकालत की है। ट्राईबल कमीशन ने फाइनल क्लीयर कर दी है।

रोजगार के लिए पलायन

गिरिपार क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि क्षेत्र के हजारों लोगों को परिवार के पालन-पोषण के लिए सोलन, शिमला व अन्य पड़ोसी राज्यों में पलायन करना पड़ता है। रिपार्ट के मुताबिक गिरिपार क्षेत्र की 90 फीसदी सड़कें कच्ची हैं। नेशनल हाई-वे मात्र कागजों पर ही प्रगति कर रहे हैं। केंद्र सरकार जनजातीय क्षेत्रों को सालाना 600 करोड़ का बजट देती है। गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा प्रदान न होने के कारण क्षेत्र को प्रदेश सरकार के रहम पर ही निर्भर रहना पड़ता है।

पारंपरिक व्यंजन परोसे जाएंगे मंत्री को

मेला कमेटी ने केंद्रीय मंत्री के हरिपुरधार दौरे की सभी तैयारियां पूरी कर दी हैं। केंद्रीय मंत्री शुक्रवार सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर हरिपुरधार पहुंचेंगे। 12 बजे वह यहां पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। सभा को संबोधित करने के बाद वह मां भंगायणी मंदिर जाकर मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। मंदिर से लौटने के बाद लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में लंच करेंगे। मेला कमेटी की ओर से मंत्री कों गिरिपार क्षेत्र के पारंपारिक व्यंजन सिड़कु, असकली पटांडे, पोली व गुल्टीभात

परोसा जाएगा।

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