किन्नौर का जल-जंगल-जमीन बेजोड़

By: May 23rd, 2017 12:05 am

रिकांगपिओ— किन्नौर जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में सोमवार को राज्यस्तरीय जैव विविधता अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया। इस मौके पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्यातिथि प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी उपस्थित थे। समारोह का विषय जैव विविधता और सतत पर्यटन था। इस अवसर पर जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश देश के शीर्ष पांच पर्यटन स्थलों में से एक है। उन्होंने कहा की किन्नौर को जैव विविधता के दिवस के लिए एक उपयुक्त गंतव्य के रूप में चुना गया है। किन्नौर की विविध जैव विविधता और प्राकृतिक विरासत जिला को असाधारण विशेषताएं प्रदान करता है। श्री नेगी ने इस अवसर पर जिला में जैव विविधता अधिनियम, 2002 तथा जैव विविधता नियम, 2004 के कार्यान्वयन हेतु जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन करने के निर्देश दिए व उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों से स्थानीय स्तर पर गठित होने वाली जैव विविधता प्रबंधन समितियों के अंतर्गत जैव विविधता के संरक्षण, सत्त उपयोग व जैविक संसाधनों पर आधारित पारंपरिक ज्ञान से होने वाले लाभों का  उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया की अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर किन्नौर जिला के 65 पंचायत और जैव विविधता प्रबंधन समितियों के सदस्यों को शामिल किया गया है। डा. नरेश कुमार लट्ठ ने कहा कि प्राकृतिक एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में जैव विविधता का अहम महत्त्व है, जिसके लिए जैव विविधता का संरक्षण और उसका उपयुक्त उपयोग व पारिस्थितिक रूप से विकास करना आवश्यक है। श्री लट्ठ ने कहा कि जैव विविधता प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। जैव विविधता से जीव, प्रजाति एवं उपयोगी पारिस्थितिक तंत्र के बीच आपसी संबंध हमें कई महत्त्वपूर्ण उत्पादन देते हैं। कुणाल सत्यार्थी, संयुक्त सदस्य सचिव, एचपीएसबीबी ने कहा की राज्य के जैव विविधता की सभी अनूठी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण को उन सभी हितधारकों के लिए, जो लाभ या तो सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त कर रहे हैं, यह अत्यंत और तत्काल चिंता का विषय है कि कैसे इस अनमोल धरोहर को संरक्षण प्रदान करें। दीर्घकालिक लाभ के साथ ऐसे तत्काल उपाय में से एक है स्थायी टूरिज्म, क्योंकि इस दृष्टिकोण के संरक्षण के माध्यम से दोनों जगहों पर जैसे संरक्षित क्षेत्र और पूर्व स्थान स्थितियों में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सत्त पर्यटन अभ्यास एक कुशल प्रबंधन साबित होता है, जो राज्य में संरक्षण और पर्यटन विकास के अनुरूप हो सकता है, यह दोनों स्थानीय या स्वदेशी समुदायों के लिए आजीविका के वैकल्पिक स्रोत के रूप में पर्यटन को भी शामिल कर रहा है ।

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