गुरु का आदर्श किरदार

By: May 15th, 2017 12:01 am

( प्रेम चंद माहिल, लहराना, हमीरपुर )

शिक्षा के साथ-साथ बाल मन में संस्कारों को भरने में अध्यापक अहम भूमिका अदा करता है। इसी खूबी ने अध्यापक को समाज में भगवान से भी ऊपर का स्थान दिया है। अध्यापन कार्य केवल जीविका उपार्जन का साधन नहीं, बल्कि यह तो त्याग और तपस्या की कर्मभूमि है। ईमानदार, कर्त्तव्यपरायण, निष्ठावान अध्यापक देश की अमूल्य संपत्ति हैं। लोगों का भविष्य, देश का भविष्य अध्यापक पर ही निर्भर करता है। अध्यापक का व्यक्तित्व इतना आकर्षक होना चाहिए कि उसका विद्यार्थी हर समय विद्यालय जाने हेतु लालायित रहे। अध्यापक का जीवन एक आदर्श स्वरूप होना चाहिए, जिसकी अमिट छाप बच्चे के जीवन पर हर समय रहती है। समय की पाबंदी, मेहनत, ईमानदारी, कर्त्तव्यपरायणता अध्यापक के वे औजार हैं, जिनकी सहायता से वह बच्चे का जीवन गढ़ता है, उसे अंधकार से रोशनी की ओर ले जाता है। कामचोर, आदर्शहीन व धूर्त व्यक्ति को अध्यापक का किरदार निभाने का कोई अधिकार नहीं। अध्यापक को समाज में एक सर्वोच्च स्थान हासिल है, जिसकी गरिमा को बरकरार रखना प्रत्येक अध्यापक का मौलिक कर्त्तव्य है।

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