गुरु वही, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़े
कांगड़ा — दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन सुश्री साध्वी भाग्य श्री भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण और रुकमणि जी का विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यह विवाह कोई साधारण विवाह नहीं था, क्योंकि रुकमणि जी प्रतीक है। जीव आत्मा का और भगवान कृष्ण प्रतीक है परमात्मा का। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रसंग है। यह मिलन कब संभव हुआ, जब बीच में ब्राह्मण देव आए। वह प्रतीक है गुरु का। यह प्रसंग हमें संदेश देता है कि हमारी आत्मा जन्मों-जन्मों से परमात्मा से बिछुड़ चुकी है। यदि हम भी प्रभु से मिलना चाहते हैं, तो हमें भी आवश्यकता है एक ऐसे पूर्ण गुरु की जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ दें, जो हमारे घट में प्रभु का दर्शन करवा दे। संस्थान के बारे में जानकारी देते हुए साध्वी जी ने कहा कि यह संस्थान सर्व आशुतोष महाराज जी द्वारा स्थापित है, जिसका लक्ष्य संपूर्ण विश्व को बंधुत्व की भावना में पिरोकर एक ही परिवार का रूप प्रदान करना है। जैसा की वेदों में कहा गया है। यह समस्त विश्व एक घोंसले के समान हैं। एक आश्रय के समान है। हम अनेक बार इस उक्ति को सुनते व पढ़ते है परंतु विचार नहीं करते कि यह संभव कैसे हो सकता है। यह केवल आत्मवत् सर्वभूतेषु की भावना से संभव है, जब निज स्वरूप को जानने के उपरांत हर जीव में उसी रूप को देखते हुए समभाव की। भ्रातृभाव की उत्पत्ति हो। कथा का शुभारंभ डीएसपी सुरिंद्र शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर नवनीत शर्मा, वेद शर्मा, नीतू दामीर, वीपी शर्मा व विनोद अग्रवाल सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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