गोलीबारी की खबर सुन फोन पर रोती रहती थी मां

By: May 9th, 2017 12:08 am

newsहमीरपुर —  मां भारती की रक्षा में जब भी सैनिकों की शहादत की खबर मिलती है, मन दहल उठता है। एक अदना सा देश कैसे हम पर भारी पड़ सकता है। जितनी इसकी जनसंख्या है, उससे अधिक हमारे सैनिक हैं। आखिर क्यों? हर बार हमारे सैनिकों को पीछे हटने के आदेश जारी होते हैं। अगर 24 घंटे की मोहल्लत मिले तो विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा देंगे। आखिर सरकार क्यों फौज को फ्री हैंड नहीं कर देती। एक बार सरकार ऑर्डर दे, नतीजा खुद व खुद सामने होगा। पता नहीं केंद्र सरकार आर्डर जारी करने से क्यों डर रही है। सरहद पर पाकिस्तान की दरिंदगी का जवाब हमें भी कड़ी कार्रवाई से देना चाहिए। सब्र बहुत हो गया, अब लड़ाई आर-पार की होनी चाहिए, ताकि किसी का बेटा, भाई व पति दुश्मनों की दरिंदगी का शिकार न हो सके। यह बात ग्राम पंचायत गारली के गांव बाहिना निवासी एक्स हवलदार अश्वनी धीमान ने कही। उनका कहना है कि मां भारती की रक्षा में शहादत प्राप्त करना, मानो अमृत पीना है। सरकारों की बेरुखी के कारण कई जवान देश की रक्षा करते आकाल मौत का ग्रास बनते हैं। बॉर्डर पर जहां जवान सेना के अधिकारियों के ऑर्डर का इंतजार करते हैं, वहीं दुश्मन बेखौफ गोली-बारुद की वर्षा करता है। जब तक दिल्ली से परमिशन मिलती है, सेना के कई जवान डिफेंस करते हुए ही शहादत प्राप्त कर लेते हैं। उनका कहना है कि यदि सेना को फ्री हैंड कर दिया जाए, तो दुश्मन की हिम्मत नहीं कि सेना का बाल भी बांका कर सके। उनका कहना था कि उन्होंने ऑन ड्यूटी कई आपरेशनों में भाग लिया है। जब भी दुश्मन देश द्वारा आत्मघाती हमले की न्यूज टीवी पर चलती थी, मां फबक-फबक कर रोना शुरू कर देती थी। जब भी मां को फोन करता था, एक ही बात कहती थी, बहुत हो गई नौकरी अब घर आ जा, लेकिन देश सेवा की कसम मां के अरमानों पर भारी पड़ जाती थी। जब 2016 में सेना से सेवानिवृत्त हुआ, तब जाकर मां को सुकून मिला। अश्वनी धीमान का कहना है कि उनका बेटा आयूष अभी सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है। बड़ा होकर उसे भी फौज में जाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनका कहना है कि केंद्र सरकार को सेना अधिकारियों को किसी भी आपातकालीन स्थिति में स्वयं निर्णय लेने का अधिकार मिलना चाहिए। एक तरफ दुशमन अटैक करता है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सेना ऑर्डर मिलने का इंतजार। जब तक दिल्ली तक बात पहुंचती है, कई सैनिक जख्मी हो जाते हैं तथा कई शहादत प्राप्त कर लेते हैं। ऑर्डर मिलने के प्रोसेस में घंटों लग जाते हैं। उनका कहना है ऐसी स्थिति में सेना के अधिकारियों को तुरंत एक्शन लेने का अधिकार होना चाहिए, ताकि दुश्मन को मौके पर ही मुंहतोड़ जवाब मिल सके। अदना सा देश हमारी सीमा में घुसकर सैनिकों के सिर कलम क देता है और हम शांति की गुहार लगाते रहते हैं। अब आर-पार की लड़ाई हो जानी चाहिए। उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव को भूल जाओ, दुश्मन को उसी के घर में घुसकर मारो। अगर ऐसे ऑर्डर सरकार ने जारी कर दिए तो, चंद घंटों में ये आतंकी देश दुनिया के नक्शे से गायब हो जाएगा, फिर न बेटे के सिर से बाप का साया उठेगा और न ही किसी की मांग उजड़ेगी होगी, वहीं देश भी दहशतगर्दी से मुक्त हो जाएगा।

यह उम्मीद है सरकार से

भारत सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है। पिद्दी भर देश हमारी सीमा में घुसकर सैनिकों के सिर कलम कर देता है और हम शांति की अपील करते रह जाते हैं। अब सरकार को आर-पार की लड़ाई लडऩी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय दबाव को भूल जाओ, पाकिस्तान को घर में घुसकर मारो। इसके लिए सरकार को फौज को फ्री हैंड दे देना चाहिए। दस दिन में दुनिया के नक्शे से यह आतंकी मुल्ख गायब हो जाएगा और अमन-चैन बहाल होगा। न किसी का बेटा शहीद होगा, न किसी की असमय मांग उजड़ेगी, न किसी बच्चे के सिर से बाप का साया उठेगा। आतंकियों की जब नर्सरी ही खत्म हो जाएगी, तो विश्व भी दहशतगर्दी से मुफ्त हो जाएगा।

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