‘चौकीदार’ के तीन साल

By: May 16th, 2017 12:01 am

तीन साल पहले, आज के ही दिन, देश ने अपने ‘प्रधान सेवक’ या ‘चौकीदार’ को ऐतिहासिक जनादेश दिया था। भाजपा को लोकसभा में पहली बार प्रचंड बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि उन्होंने पद की शपथ 26 मई को ली थी। मोदी ने अपने लिए जो दो भूमिकाएं तय की थीं, उनमें वह सार्थक साबित हुए। लोकतंत्र में प्रधानमंत्री के पद को मोदी ने पुनः परिभाषित किया। उन्होंने खुद को ‘प्रधान सेवक’ और ‘चौकीदार’ माना। यह दीगर है कि उनके लिए ‘चौकीदार’ विशेषण ज्यादा सार्थक रहा। ‘चौकीदार’ के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के संसाधनों, सरकारी खजाने और तमाम मंत्रालयों की ऐसी ‘चौकीदारी’ की है कि उन पर या कैबिनेट के किसी भी साथी पर भ्रष्टाचार का कोई भी धब्बा नहीं है। 2-जी स्पेक्ट्रम, कोयलागेट, राष्ट्रमंडल खेल सरीखे किसी भी घोटाले से वह ‘दागदार’ नहीं हुए हैं। विपक्ष चाहे, तो छाती पीटता रहे या चीखा-चिल्ली करता रहे। बहरहाल प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के तीन साला कार्यकाल का आकलन करना जरूरी है। जन-धन योजना, 12 रुपए सालाना किस्त पर दो लाख रुपए का बीमा, इसी तर्ज पर 330 रुपए सालाना किस्त पर जीवन सुरक्षा बीमा, गैस उज्ज्वला योजना, 2022 तक हरेक परिवार की अपनी ‘छत’ का लक्ष्य, स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत टीकाकरण में पांच-सात फीसदी का अभूतपूर्व लक्ष्य हासिल, राष्ट्रीय राजमार्गों का समयबद्ध और निरंतर निर्माण, गरीब-किसान-दलित, पिछड़ों को लेकर विभिन्न अभियान, देश डिजिटल होने की दिशा में और जीएसटी को लागू करने की तय तारीख आदि कुछ ऐतिहासिक और जनवादी फैसले मोदी सरकार ने लिए ही नहीं, उन पर अमल भी सुनिश्चित किया। प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर एक करोड़ से ज्यादा संपन्न नागरिकों ने एलपीजी गैस पर सबसिडी छोड़ी। उसी के नतीजतन करीब तीन करोड़ गरीब परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जा सके। उज्ज्वला का लक्ष्य पांच करोड़ गरीब परिवारों तक गैस पहुंचाना है, ताकि वे लकड़ी, उपले, सूखे पत्ते आदि न जलाएं और बीमारियों को न्योता न दें। योजनाओं में ‘मुद्रा’ विशेष ऋण मुहैया कराने की योजना भी है। उसके तहत 50,000 रुपए से 10 लाख रुपए तक का कर्ज बैंकों से लिया जा सकता है। प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला और फुटपाथ पर बैठे या रेहड़ी पर अपना कारोबार करने वाले तबकों को समृद्ध और संपन्न बनाना चाहते हैं। इस योजना के तहत करोड़ों लोगों ने ऋण लेकर फायदा उठाया है। जो दल या नेता प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करते रहे हैं कि सरकार ने तीन साल में क्या किया, तो प्रधानमंत्री अकसर खामोश रहे हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि सरकारी योजनाओं के फैसले और उन्हें अमल में लाने का सच देश भलीभांति जानता है। योजनाएं बनती, थमती और फिर नए आकार में देश के सामने आती रहती हैं, लेकिन मौजूदा मोदी सरकार की विशेषता यह रही है कि उसने सक्रियता, निरंतरता, मेहनत और समावेशी सोच में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पहली बार ऐसा प्रधानमंत्री देश को मिला है, जो उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम और पूर्वोत्तर इलाकों में बराबर सक्रिय दिखाई देता रहा है। उसे स्थानीय मुद्दों, तकलीफों और परेशानियों का पूरा आभास है। देश भर में प्रधानमंत्री की लगातार मौजूदगी से उनकी ‘चौकीदारी’ वाली भूमिका चरितार्थ होने लगती है। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता के गलियारों, मंत्रालयों के दफ्तरों और सफेदपोशों की पूरी कार्य संस्कृति ही बदल कर रख दी। सरकार और उसके फैसलों पर प्रधानमंत्री मोदी का ही वर्चस्व रहा है, लिहाजा सियासत का सवाल आता रहा है कि इससे एकाधिकार की प्रवृत्ति बढ़ती है, लेकिन नगर निगम से लेकर विधानसभा चुनावों तक मोदी ही भाजपा के इकलौते चेहरे रहे हैं। यह स्थिति भी एकाधिकार की मानसिकता पैदा करती है, लेकिन भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भी प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के कार्यकाल में ही बनी है। लगातार चुनावी जीतें हासिल हुई हैं और आज देश के 15 राज्यों में भाजपा या सहयोगी दलों की सरकारें हैं। इन तीन सालों का राष्ट्रीय हासिल यह रहा है कि बेशक प्रधानमंत्री मोदी एक करोड़ नौकरियां या रोजगार के अवसर देने में कामयाब नहीं हो पाए हैं, लेकिन उनका कार्यकाल लुंज-पुंज सरकार का कार्यकाल नहीं रहा है। विश्व स्तर पर जो समझौते किए गए हैं और जो विदेशी निवेश भारत आ रहा है, उनकी पहली शर्त यह है कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत उत्पादन इकाई भारत में भी स्थापित की जाए। इस कार्यक्रम के तहत मोदी सरकार ने 25 ब्रांड कंपनियों को चिह्नित किया है, जो आने वाले समय में वैश्विक स्तर की कंपनियां और ब्रांड बन सकते हैं। देश की बड़ी कंपनियां भी अपने कारोबार को विस्तार दे रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी को उम्मीद है कि रोजगार के ठोस आंकड़े भी सामने आएंगे। अनेक कमियों और विरोधाभासों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी कभी देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ‘छाया’ लगते हैं, तो बोल्ड और सकारात्मक फैसले लेने में उनकी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शख्सियत से की जाती रही है। बेशक प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी ने एक छाप छोड़ी है और आज वह देश के सर्वोच्च और लोकप्रिय नेता हैं। 2019 के आम चुनावों में भी परिस्थितियां भाजपा और मोदी के पक्ष में ही रहेंगी, ऐसा आम विश्वास है। एनडीए ने तो अढ़ाई साल पहले ही तय कर लिया है कि 2019 में भी मोदी ही उसके प्रधानमंत्री होंगे। अनौपचारिक तौर पर कुछ विपक्षी नेता यहां तक कहने लगे हैं-जब तक मोदी जी का जीवन है, तब तक वह प्रधानमंत्री रहेंगे, क्योंकि कोई भी नेता या गठबंधन उन्हें चुनौती देने में सक्षम नहीं है।

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