जवानों से भेदभाव कर रही सरकार
वायस ऑफ एक्स सर्विसमैन सोसायटी ने पे-कमीशन पर उठाए सवाल
पालमपुर — वायस ऑफ एक्स सर्विसमैन सोसायटी, जो जवानों के कल्याण हेतु एवं अन्य मामलों में उनके हितों की आवाज उठाती रहती है, के पास आखिर सातवें पे कमीशन की फाइनल रिपोर्ट आ गई। सोसायटी का कहना है कि निचले रैंक के जवान खुद को फिर ठगा महसूस कर रहे हैं। संगठन के राष्ट्रीय संयोजक, वीर बहादुर सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता वीके झा एवं हिमाचल प्रदेश के संयोजक जेएस पटियाल ने बताया कि सरकार भारतीय सेना के जवानों के पराक्रम एवं त्याग का सही मूल्यांकन नहीं कर पाई है और सातवें वेतन आयोेग की विसंगतियों को दूर करने में उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया। छठे वेतन आयोग ने इस बात को स्वीकार करने के बावजूद की मिलिट्री सर्विस पे स्टेटस के लिए नहीं है व मिलिट्री नर्सिंग सेवा फाइटिंग के लिए नहीं है, फिर भी मिलिट्री नर्सिंग सेवा से भी काफी कम जवानों को मिलिट्री सर्विस पे दी है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। सरकार को इनके साथ न्याय करते हुए सभी रैंक को एक दर से मिलिट्री सर्विस-पे देनी चाहिए। समान दर से मिलिट्री सर्विस-पे सेना के जवानों को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। सातवें वेतन आयोग ने अधिकारियों की डिसेबिलिटी पेंशन 27 हजार रुपए, जेसीओ की 17 हजार और जवानों की 12 हजार रिकमेंड की थी, लेकिन सरकार ने इसे प्रतिशतता के आधार पर कर दिया, जिससे अधिकारियों की डिसेबिलिटी पेंशन 75 हजार तक हो गई और जवानों और जेसीओ की डिसेबिलिटी पेंशन 12 हजार से भी कम होने का खतरा है। सरकार को डिसेबिलिटी पेंशन के संबंध में इतना भेदभाव नहीं करना चाहिए। जवानों के वेतन एवं पेंशन में 2.57 पर फिक्स कर दिया है, जबकि अधिकारियों का वेतन और पेंशन 2.67 से लेकर 2.87 तक फिक्स किया है। अतः सरकार को संविधान की भावना का सम्मान करते हुए जवानों के मैट्रिक्स के गुणांक बढ़ाना चाहिए, अगर सरकार ने जवानों की इन मांगों पर विचार नहीं किया ते संगठन को न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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