डाक सेवकों को बंधी रेगुलर होने की आस
नई दिल्ली — दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सोमवार को ग्रामीण डाक सेवकों को रेगुलर करने और उन्हें पूरी पेंशन देने से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए भारत सरकार को छह हफ्तों में अपना पक्ष रखने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी। न्यायाधीश विपिन सांगी व न्यायाधीश दीपा शर्मा की खंडपीठ ने नागरिक रिट याचिका नंबर 3509-2017 बूटा राम बनाम भारत सरकार के मामले में सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। अपीलकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी राव, विनोद शर्मा और अंकुर ने बताया कि अपीलकर्ता हिमाचल प्रदेश में 1982 से और बाकी अपीलकर्ता भी पिछले 10 से 30 वर्षों से प्रदेश के विभिन्न डाकघरों में सात हजार से अधिक व देश में अढ़ाई लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं। वर्ष 2009 में उन्होंने देश के सुप्रीम कोर्ट में याचिका यह कहते हुए दायर की थी कि उन्हें नियमित सिविल कर्मचारी मानते हुए वेतन व मूल वेतन के साथ डीए और हाउस रेंट को जोड़ कर नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन दिया जाए। उन्हें सीसीएस पेंशन नियम 1972 के तहत पेंशन भी दी जाए और जब नियमित किया जाए तो ग्रामीण डाक सेवक के रूप में की गई नौकरी की अवधि को साथ जोड़ते हुए एरियर दिया जाए और उन्हें नवनियुक्त न माना जाए। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधीकरण ने 17 नवंबर, 2016 को अपना आदेश सुनाते हुए ग्रामीण डाक सेवक के रूप में पांच घंटे तक किए गए कार्य के अनुसार पेंशन देना तो स्वीकार किया, लेकिन नियमित वेतनमान व नियमित होने की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया। न्यायालय का मानना था कि अपीलकर्ता साबित नहीं कर पाए कि वह पांच घंटे से ज्यादा कार्य करते हैं। इसी मामले में सोमवार को अपीलकर्ताओं के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में बताया कि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए डाक आदि बांटने का कार्य 12 से 38 किलोमीटर के इलाके में पांच घंटे में पूरा नहीं किया सकता है और इस तथ्य को प्रमाणित करने के दस्तावेज साथ पेश किए गए। भारत सरकार की ओर से अधिवक्ता अजय दिगपाल ने नोटिस स्वीकार करते हुए कहा कि न्यायालय उन्हीं लोगों की याचिका के बारे में विचार करे जो न्यायालय में साबित करें कि वे पांच घंटे से अधिक काम करते हैं, अन्यथा सरकार पूरे देश के अढ़ाई लाख व हिमाचल के 6000 से 7000 लोगों को इसका लाभ नहीं दे सकती, क्योकि इससे सरकार पर बहुत आर्थिक बोझ पड़ेगा और यह तर्क ग्रामीण डाक सेवक कंडक्ट एंड अंगेजमेंट रूल्स-2011 के खिलाफ होगा। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के उपरांत सोमवार को न्यायालय द्वारा अपील स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 31 अगस्त रखी गई है। अगली सुनवाई में जो ग्रामीण डाक सेवक अपने दस्तावेजों के द्वारा पांच घंटे से अधिक कार्य करने का दावा पेश करने में सफल होते हैं तो माननीय न्यायालय उन्हें नियमित करने के साथ-साथ पिछली नौकरी का लाभ और पूरी पेंशन के लाभ के बारे में विचार कर सकता है।
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