दवा के लिए हर कहीं धक्के…मरीज हक्के-बक्के

By: May 31st, 2017 12:05 am

कुल्लू – अखिल भारतीय दवा विक्रेता संघ के आह्वान पर कुल्लू जिला दवा विक्रेता संघ ने मंगलवार को एक दिवसीय बंद का निर्णय लिया था। जहां पर मंगलवार को जिलाभर में सभी मेडिकल शॉप बंद रहीं, जिस कारण से मरीजों सहित उनके तीमारदारों को यहां भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। बता दें कि दवाइयों की ऑनलाइन तथा केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय  ई-पोर्टल के नाम पर ड्रग  सेल एक्ट लाने के विरोध में इस बंद का आयोजन किया गया था। सभी दुकानें बंद होने के चलते यहां सुबह से ही लोग परेशान दिखे। दुकानें बंद होने पर लोगों ने यहां दुकानदारों  के मालिकों को फोन कर दुकान खोलने का भी आग्रह किया, लेकिन दुकानें बंद रखने के फैसले के आगे कोई भी नहीं झुका। लोगों की और से निवेदन करने के बाद भी किसी ने भी अपनी दुकान यहां नहीं खोली। यही नहीं काफी लोगों को यहां आपातकालीन स्थिति होने के चलते दिक्कत हुई। जहां पर सरकारी अस्पताल का लोगों ने दिनभर सहारा लिया, लेकिन यहां पर भी सरकारी अस्पताल में कुछ दवाइयां उपलब्ध न होने पर भी मरीज परेशान हुए।  दूर दराज से  आए ग्रामीणों को भी खासी परेशानी झेलनी पड़ीं, क्योंकि गांव के लोगों को इस तरह की कोई यहां आए लोग सुनील, नरेंद्र कुमार सुनील नेगी, दोरजे बौद्, नीलम शर्मा, कांता शर्मा का कहना है कि इस तरह से जब भी हड़ताल हो। लोगों को करीब तीन दिन या सप्ताह पहले सूचना जरूर देनी चाहिए, क्योंकि बुजुगांर्े को यहां सबसे अधिक दिक्कत इस तरह की हड़ताल के कारण से झेलनी पड़ी है, क्योंकि बहुत से लोग अपनी दवा लेने के लिए दुकानों में स्वयं जाते है। यहां रायसन गांव की रहने वाली शांति नेगी व सचिन सूद ने बताया कि वह लोग भी अपनी जरूरी दवा लेने के लिए कुल्लू आए थे। दुकानें बंद होने पर रास्ते से ही उन्हें लौट पड़ा। बीपी के मरीज होने के चलते उन्हें अगर एक दिन भी दवा न मिले तो, भारी दिक्कत रहती है, जिस भी मांग को लेकर दुकानें बंद रखी गई है। केंद्र सरकार को चाहिए कि इनकी मांगों को जल्द पूरा करें।

ई-पोर्टल पर भी लगे पाबंदी

जिला दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष ऋषभ कालिया ने कहा कि अवैध तरीके से दवाइयों की ऑनलाइन विक्री की जा रही है। इसका संघ ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन दवा के बिकने से नशीली व प्रतिबंधित दवाइयों की पहुंच आसान हो जाएगी। वहीं, केंद्र सरकार की और से ई-पोर्टल के नाम पर ड्रग सेल एक्ट लाया जा रहा है,जो कि दवा विक्रेताओं के हित में नहीं है। ई-पोर्टल बनने से आपातकालीन व जीवनरक्षक दवाइयों की आपूर्ति कर पाना संभव नहीं होगा। संघ ने सरकार से ऑन लाइन दवाइयों की बिक्री तथा ई-पोर्टल पर भी पाबंदी लगाने की मांग की है।  जिला दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष ने लोगों स दुकानें बंद होने के चलते आई दिक्कत को लेकर माफी भी मांगी है।

केमिस्ट की हड़ताल

मनाली-ऑलइंडिया आर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश सोसायटी ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ने मांगों को लेकर मनाली में दुकानें बंद रखीं। पर्यटक नगरी पर्यटक जरुरी दवाएं खरीदने के लिए भटकते देखे गए।  स्थानीय लोगों को भी अच्छी खासी परेशानी झेलनी पड़ी। मनाली के दवा विक्रेता रितु राज व अरविंद सूद ने बताया कि उन्होंने आल इंडिया आर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के आह्वान पर हड़ताल का समर्थन करते हुए दुकानें बंद रखीं।

दोरजे बोद्ध  का कहना है कि दवा की दुकानें बंद होने से लोग सारा दिन प्रभावित रहे। मरीजों को काफी दिक्कतें पेश आई, रोगग्रस्त होने से लोग बीमारी से चिलाते रहे। सरकार इस ओर कारगर कदम उठाए।

नरेंद्र कुमार का कहना है कि वह सुंदरनगर में दवा लेने के लिएआयास था, लेकिन मेडिकल स्टोर बंद होने से उन्हें कहीं पर भी दवा नहीं मिली। उन्होंने सरकार से जनता के हित में निर्णय लेने का आग्रह किया है।

सुनील का कहना है कि दवा विक्रताओं के हड़ताल पर जाने से लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ीं। लोगों को बिना दवा लिए ही बेरंग घर को लौटना पड़ा है। सरकार की गलत नीतियों का आम जनता पर ही प्रभाव पड़ रहा है।

सुनील नेगी का कहना है कि शहर में मेडिकल स्टोर बंद होने से पब्लिक परेशान रही। लोगों को उपचार के बाद दवा नहीं मिली। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

राह चलते लोगों ने किया मार्गदर्शन

राह चलते लोग भी दुकानों के बाहर दवाई लाने के लिए खड़े लोगों का मार्गदर्शन करते हुए नजर आए। यही नहीं मीडिया कर्मी भी लोगों का मार्गदर्शन करते हुए देखे गए। क्योंकि यहां कुछ लोग दुकाने के खुलने के इंतजार में दुकानों के बाहर ही बैठ गए थे। लगघाटी से पत्नी के साथ आए योगराज ठाकुर ने बताया कि उनका बच्चा सुबह से बीमार था। जहां पर कुछ ऐसी दवाइयां लिखी गई थीं जो केवल निजी मेडिकल स्टोर में ही मिलती हैं। अस्पताल में दवा न मिलने पर उन्हें भारी दिक्कत दिनभर झेलनी पड़ी। जहां पर डाक्टरों की मदद से उनके बच्चों को दवा उपलब्ध होने पर बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार आया है।

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