दोघरी स्कूल में शिक्षा का सत्यानाश

By: May 11th, 2017 12:06 am

दोघरी स्कूल में शिक्षा का सत्यानाश, दसवीं में 28 में से सिर्फ एक छात्र पास

अध्यापकों के आधे से ज्यादा पद खाली होने से बिगड़े हाल, प्लस टू में भी 35 में से मात्र पांच छात्रों की नैया लगी थी पार

newsकरसोग — उपमंडल करसोग के तत्तापानी से लगभग 28 किलोमीटर दूर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दोघरी में पढ़ाई इस कद्र बेहाल है कि यहां दसवीं की परीक्षा में 28 में से मात्र एक ही छात्र पास हुआ है, जबकि 27 विद्यार्थी फेल हो गए हैं। परीक्षा परिणाम अभिभावकों की नींद उड़ाने है तथा विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में जाता दिखाई दे रहा है। स्कूल के जमा दो परीक्षा नतीजे भी कम शर्मनाक नहीं थे। इस साल जमा दो की परीक्षा में दोघरी पाठशाला में 35 विद्यार्थी बैठे थे, जिनमें से मात्र पांच ही पास हुए थे और बाकी तीस फेल हो गए थे। दोघरी पाठशाला का परीक्षा परिणाम पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। एसएमसी अध्यक्ष सुमित्रा, हरीश, ललित, प्रकाश, घनश्याम, सूरज, गोकुल व रमेश आदि ने लिखित जानकारी देते हुए कहा कि दोघरी पाठशाला में दसवीं तथा जमा दो का परीक्षा परिणाम बुरी तरह शर्मनाक है, जिसका सबसे बड़ा कारण पाठशाला में अनेक अध्यापकों के पद खाली होना है। इसे लेकर शिक्षा विभाग के हर दरवाजे पर गुहार लगाते हुए सालों से पद भरने की मांग की जा रही है, परंतु शिक्षा विभाग कोई गौर नहीं कर रहा है। एक तरफ सड़क किनारे सुविधाजनक पाठशालाओं में अध्यापकों के पद पूरी तरह भरे हुए दिखाई देते हैं, वहीं ग्रामीण पाठशालाएं खाली चली हुई हैं। इस भेदभाव को शिक्षा विभाग खत्म करे। उन्होंने कहा कि सरकार को भी जुगाड़ करने वाले अध्यापकों पर कड़ी नजर रखते हुए ग्रामीण पाठशालाओं में अध्यापक भेजने चाहिए अन्यथा गांव का विद्यार्थी प्रतिस्पर्धाओं में ढूंढे नहीं मिलेगा। दोघरी पाठशाला में हाल ही में तैनात हुए प्रधानाचार्य राज कुमार के अनुसार टीजीटी नॉन मेडिकल का पद यहां ग्यारह सालों से खाली पड़ा है। इसके साथ अन्य विषयों के अध्यापकों के कई पद खाली हैं। पूरी पाठशाला में प्रधानाचार्य सहित मात्र दो अध्यापक नियमित तैनात हैं, जिसकी पूरी जानकारी शिक्षा विभाग को समय-समय पर दी जाती रही है। परीक्षा परिणाम और विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर प्रधानाचार्य राज कुमार भी काफी चिंतित दिखाई दिए।  उन्होंने दुखी मन से कहा कि उक्त पाठशाला में बहुत सारे विद्यार्थी तीन से चार घंटे पैदल चलकर आते हैं। कई विद्यार्थी किश्ती में सवार होकर आते हैं, कई विद्यार्थी सोलन जिला से भी सतलुज नदी पार करके दोघरी पाठशाला में पहुंचते हैं, परंतु अध्यापकों के रिक्त पद होने के चलते उन्हें उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। ताजा परीक्षा परिणाम के बाद तो विद्यार्थी बुरी तरह निराश हैं, अभिभावक गुस्से में हैं, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर बहुत जल्द उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जाएगा।

छलक आया प्रिंसीपल का दर्द

प्रधानाचार्य राज कुमार ने बताया कि पाठशाला में बहुत सारे विद्यार्थी तीन से चार घंटे पैदल चलकर आते हैं, परंतु अध्यापकों के रिक्त पद होने के चलते उन्हें उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। पूरी पाठशाला में प्रधानाचार्य सहित मात्र दो अध्यापक नियमित तैनात हैं, जिसकी पूरी जानकारी शिक्षा विभाग को समय-समय पर दी जाती रही है, लेकिन स्कूल को पूरा स्टाफ नहीं दिया जा रहा है।

बंदला में 45 में से सिर्फ तीन उस पार

पालमपुर — पालमपुर उपमंडल की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बंदला में दसवीं कक्षा में 45 में सेे सिर्फ तीन बच्चे ही पास हुए हैं। स्कूल के निराशाजनक परिणाम को लेकर जहां अभिभावकों में रोष पनप गया है, वहीं स्कूल का परिणाम फेसबुक पर चर्चा का विषय बन गया है। स्कूल के 45 बच्चों में से तीन पास, छह की कंपार्टमेंट और बाकी 36 फेल हो गए हैं। स्कूल में परीक्षाओं के दौरान छह नकलची भी पकड़े गए थे। स्कूल एसएमसी के पूर्व प्रधान और पंचायत के मौजूदा प्रधान विजय भट्ट ने कहा कि सरकारी स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं के बावजूद इस तरह का परिणाम चिंता का विषय है। फेसबुक पर डाली एक पोस्ट में बताया गया है कि 1980 में स्कूल में आठवीं कक्षा के परिणामों में 16 में मात्र पांच छात्र उत्तीर्ण हुए थे तो गांव के लोगों ने पंचायत के साथ मिलकर स्कूल पर ताला जड़ दिया था।

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