धार्मिक दृष्टि से प्रथम निमंत्रण दिया जाता है गणेश को
गांवों में पहले न्यूंदे वाले को भेजकर सभी जगह न्यूंदा की प्रथा थी। लोग उसे मेहनताने में एक या आधा किलो कनक या मक्की देते थे। आजकल इसका स्थान छपे निमंत्रण पत्रों ने ले लिया है। अब कई जगह निमंत्रण टेलीफोन द्वारा भी दिए जाते हैं। वर पक्ष की ओर से पहला निमंत्रण मामा को दिया जाता है। धार्मिक दृष्टि से प्रथम निमंत्रण गणेश देव को दिया जाता है…
रीति-रिवाज व संस्कार
समिधा मुहूर्त ः विवाह से लगभग दो माह पूर्व समिधा का मुहूर्त होता है। इस दिन गांवों में विवाह का आरंभ माना जाता है। संबंधियों और गांव वालों को समिधा (विवाह में प्रयुक्त होने वाला ईंधन) काटने के लिए बुलाया जाता है। सभी मिलकर लकडि़यां काटते, फाड़ते व ढोते हैं। सहभोज का आयोजन होता है तथा महिलाएं नाच- गाना करती हैं। विवाह के इस प्रथम कार्य का यदि गांव में किसी को निमंत्रण न दिया जाए, तो बुरा माना जाता है तथा कई बार रुष्ट परिवार विवाहोत्सव में भी शामिल नहीं होते। इस प्रथा से मिल-जुलकर पुराने गिले-शिकवों को मिटाकर कार्य करने तथा भाईचारा मजबूत होने का पता चलता है, परंतु आजकल घटते पेड़ों, समय की कमी व गैस की सुविधा के कारण यह परंपरा औपचारिक रह गई है।
निमंत्रण (नयूंदा) ः कन्या पक्ष वालों का पुरोहित लाड़े (दूल्हा) को बारात लेकर आने का निमंत्रण (न्यूंदा) देने वर (लाड़े) के घर आता है। पुरोहित वर को तिलक आदि लगाकर वस्त्रादि देकर मौली बांधता है फिर साथ लाए गए लड्डू व शक्कर से सभी का मुंह मीठा करवाया जाता है। नयूंदे की प्रथा संपन्न होने के बाद विवाह रुकता या टलता नहीं, चाहे कोई भी बाधा आ जाए। इस प्रथा को नालागढ़ तथा कसौली के कुछ भाग में चिट्ठी भेजना भी कहते हैं। वहां पुरोहित द्वारा ले जाई गई चिट्ठी में कन्या पक्ष के संबंधियों के 10-15 नाम लिखकर वर पक्ष के सभी मुख्य लोगों के नाम लिखकर उनसे आदर सहित बारात में आने की प्रार्थना होती है। विवाह से लगभग एक सप्ताह पूर्व वर और कन्या के माता-पिता शक्कर आदि लेकर वर कन्या के मातुल पक्ष (मामों) को विवाह का निमंत्रण देने स्वयं जाते हैं। गांवों में पहले न्यूंदे वाले (व्यक्ति को ध्याड़ी देकर) को भेजकर सभी जगह न्यूंदा की प्रथा थी। लोग उसे मेहनताने में एक या आधा किलो कनक या मक्की देते थे। आजकल इसका स्थान छपे निमंत्रण पत्रों ने ले लिया है। अब कई जगह निमंत्रण टेलीफोन द्वारा भी दिए जाते हैं। वर पक्ष की ओर से पहला निमंत्रण मामा को दिया जाता है। धार्मिक दृष्टि से प्रथम निमंत्रण गणेश देव को दिया जाता है।
शांति पूजन (नधार या मायने) ः विवाह के पूर्व दिन सायंकाल को वर या वधू के मामे अपने गांव वालों सहित विवाह समारोह में शामिल होने जब विवाह वालों के घर आते हैं, तो उनका गांव से बाहर तिलक हार आदि से स्वागत किया जाता है। शक्कर और लड्डू से मुंह मीठा करवा कर बाजे सहित घर लाया जाता है। इस प्रथा को मायने या नंधार कहा जाता है। कई क्षेत्रों में इसे तोरण-वेद या तोरन बनायक या नानकियारी भी कहते हैं।
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